दूसरी पारी की पहली ‘मन की बात’ में बोले प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्ली: दूसरा कार्यकाल संभालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार मन की बात को संबोधित किया है। रविवार को मन की बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस रविवार ने बहुत इंतजार करवाया। ‘मैं जब भी “मन की बात” करता हूं तो आवाज मेरी, शब्द मेरे हैं, लेकिन कथा आपकी है, पुरुषार्थ आपका है, पराक्रम आपका है। इसके कारण में इस कार्यक्रम को नहीं आपको मिस कर रहा था, एक खालीपन महसूस कर रहा था।’ उन्होंने कहा कि कई सारे संदेश पिछले कुछ महीनों में आए। जिसमें कई लोगों ने कहा कि वे इस कार्यक्रम को बहुत मिस कर रहे हैं और इंतजार में है कब शुरु हो। ये सब जब मैं सुनता हूं, पढ़ता हूं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। इसमें मैं अपनापन महसूस करता हूं। ‘मन की बात’ में मुझे इतने खत आते हैं, इतने टेलीफोन कॉल आते हैं, इतने संदेश मिलते हैं, लेकिन शिकायत का तत्व बहुत कम होता है और किसी ने कुछ मांगा हो, अपने लिए मांगा हो, ऐसी तो एक भी बात, गत पांच वर्ष में, मेरे ध्यान में नहीं आई है। आप कल्पना कर सकते हैं, देश के प्रधानमंत्री को कोई चिट्ठी लिखे, लेकिन खुद के लिए कुछ मांगे नहीं, यह देश के करोड़ों लोगं की भावना कितनी ऊंची होगी।’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में जल संरक्षण पर खास जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में एक बड़ा हिस्सा हर साल जल संकट से गुजरता है, इससे बचने के लिए जल संरक्षण की जरूरत है। पानी की समस्या पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘वर्षा से जो पानी मिलता है, उसका सिर्फ आठ फीसदी बचाया जाता है। समय आ गया है कि इस समस्या का हल निकाला जाए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हमें विश्वास है कि हम जनशक्ति और सहयोग से इस संकट का समाधान कर लेंगे। नया जलशक्ति मंत्रालय बनाया गया है। इससे किसी भी संकट के लिए तत्काल फैसले लिए जा सकेंगे। इस महीने की 22 तारीख को हजारों पंचायतों में तमाम लोगों ने जल संरक्षण का संकल्प लिया।’
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने झारखंड के हजारी बाग के एक सरपंच का संदेश भी सुनाया। सरपंच ने कहा कि मुझे विश्वास नहीं हुआ था कि पानी के संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री ने मुझे खत लिखा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बिरसा मुंडा की धरती, जहां प्रकृति से तालमेल बिठाना संस्कृति का हिस्सा है, वहां अब जागरूकता शुरू हुई है। मेरी तरफ से सभी सरपंचों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्वच्छता आंदोलन की तरह ही लोग अब गांवों में जलमंदिर बनाने की होड़ में जुट गए हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, तमिलनाडु और उत्तराखंड में जल संरक्षण के उपायों की भी चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने जल संरक्षण को लेकर नागरिकों से तीन अनुरोध भी किए। पहला, स्वच्छता की तरह ही जल संरक्षण को भी जनांदोलन का रूप दें। दूसरा, ऐसे प्रयोगों का अध्ययन करें, जहां जलसंरक्षण का प्रयास करें। तीसरा, जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने वालों की जानकारियों को साझा करें। प्रधानमंत्री मोदी ने जनशक्ति फॉर जलशक्ति हैशटैग चलाने की भी अपील की।
आपातकाल की बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘जब देश में आपातकाल लगाया गया, तब उसका विरोध सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं था। दिन-रात जब समय पर खाना खाते हैं तब भूख क्या होती है, इसका पता नहीं होता है, वैसे ही सामान्य जीवन में लोकतंत्र के अधिकार का मजा क्या है वो तब पता चलता है जब कोई लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन ले। लोकतंत्र के अधिकार का मजा क्या है वो तब पता चलता है जब कोई लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन ले।
प्रधानमंत्री मोदी ने साथ ही कहा, ‘भारत में 2019 के लोकसभा चुनाव में 61 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट दिया। यह संख्या हमें बहुत ही सामान्य लग सकती है, लेकिन अगर दुनिया के हिसाब से देखें और चीन को छोड़ दिया जाए तो भारत में दुनिया के किसी भी देश की आबादी से ज्यादा लोगों ने मतदान किया है।