प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के सामने सब है नतमस्तक
भोपाल। प्रदेश की सहकारी समितियों में तीन हजार 629 सेल्समैन की भर्ती होना थी, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने
हाईकोर्ट का स्टे बताकर इसको रोककर रखा। छह महीने बाद भी रिजल्ट तक जारी नहीं होने दिया। सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह के 20 मई 2019 को भर्ती करने की इजाजत के बाद भी रिजल्ट घोषित करने के आदेश नहीं निकाले गए। इस मामले में जब विधानसभा में सवाल लगा तो मंगलवार को आनन-फानन में सहकारिता आयुक्त एमके अग्रवाल ने रिजल्ट जारी करने के फाइल में आदेश कर दिए। यहां बताना लाजिमी होगा कि सहकारी संस्थाओं में रिक्त पदों को भरने का फैसला शिवराज सरकार ने किया था। इसके लिए विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले भर्ती की तैयारी कर विज्ञापन निकाला गया था। ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तारीख 28 सितंबर 2018 रखी गई थी। 30 से 40 हजार युवाओं ने इसके लिए एमपी ऑनलाइन के माध्यम से फार्म भरे, लेकिन इसके नतीजे अभी तक घोषित नहीं हो पाए। सूत्रों के मुताबिक विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने की संभावना को देखते हुए अधिकारियों ने इसमें चयन प्रक्रिया को लेकर पेंच फंसा दिया। दो-तीन याचिका हाईकोर्ट में भी दाखिल हो गई। चूंकि, पूरी प्रक्रिया पारदर्शी थी, इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि नियुक्ति कोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन रहेगी। इसे सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने स्टे माना और रिजल्ट घोषित करने की फाइल को दबाकर बैठ गए।
सहकारिता मंत्री डॉ. सिंह के सामने जब यह मामला आया तो उन्होंने फाइल बुलवाई और कोर्ट का आदेश देखा। इसमें चयन प्रक्रिया को रोककर रखने (स्टे) जैसी कहीं कोई बात नहीं थी। इस आधार पर उन्होंने 20 मई को नियुक्ति प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अनुमति देते हुए रिजल्ट घोषित करने के निर्देश दिए। इसके बावजूद सहकारिता आयुक्त कार्यालय में फाइल ठंडे बस्ते में पड़ी रही। जब कुछ विधायकों ने विधानसभा के मानसून सत्र के लिए इस संबंध में सवाल लगाए तो एक बार फिर फाइल खुली और मंत्री की फटकार के बाद आनन-फानन में आयुक्त एमके अग्रवाल ने रिजल्ट घोषित करने का फरमान जारी कर दिया। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अब महीनेभर के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।सूत्रों का कहना है कि जब सेल्समैन के रिक्त पदों पर नियुक्ति का मामला सहकारिता मंत्री के पास पहुंचा तो उनका सवाल यही था कि इसमें किसे प्राथमिकता दी जा रही है। स्थानीय लोगों को अवसर दिए गए हैं या नहीं। भाई-भतीजावाद तो नहीं चल रहा है। पारदर्शिता के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई है। अधिकारियों ने बताया कि भर्ती में स्थानीय व्यक्ति होना अनिवार्य रखा गया है। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है और साक्षात्कार भी नहीं होगा। मेरिट के आधार पर चयन होना है। सबसे अंत में आवेदक द्वारा लगाए गए दस्तावेजों का सत्यापन रखा गया है। यदि इसमें किसी प्रकार की त्रुटि नहीं हुई तो फिर नियुक्ति आदेश जारी किए जा सकते हैं।