बैठक में लेट होने पर एसएडीओ कैलारस की एक वेतनवृद्धि रोकने के निर्देश
मुरैना । कृषि के क्षेत्र में मुरैना जिला प्रदेश में टॉपटेन की सूची में पहुंचे। इसके लिये कृषि अधिकारी तकनीकी से खेती अपनाने के लिये किसानों को प्रेरित करें। जिससे कम रकवे में अधिक पैदावार हो सके। यह निर्देश कलेक्टर श्रीमती प्रियंका दास ने शनिवार को कलेक्ट्रेट में सबमिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन एण्ड टैक्नोलॉजी ”आत्मा की बैठक में कृषि अधिकारियों को दिये। बैठक में कृषि, पशुपालन, उद्यानिकी और मत्स्य विभाग के संबंध में नये-नये नवाचार करने के लिये बजट एवं आगे की कार्य योजना के संबंध में चर्चा की गई । बैठक के दौरान एसएडीओ कृषि कैलारस यदुवीर सिंह तोमर लेट उपस्थित हुये। इसके बाद भी बैठक में आये बिन्दुओं पर कलेक्टर ने श्री तोमर से जानकारी ली, तो तोमर जानकारी नहीं ठीक से नहीं दे पाये, इस पर कलेक्टर ने एसएडीओ श्री तोमर की एक वेतन वृद्धि रोकने के निर्देश मौके पर दिय। इस अवसर पर उप संचालक कृषि पी.सी. पटेल, उप संचालक पशु चिकित्सक डॉ. सुरेश शर्मा, उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक विजेन्द्र सिंह भदौरिया और मत्स्य विभाग के जिला अधिकारी, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. एमएल शर्मा, डॉ. एसपी सिंह, डॉ. संजीव, डॉ. अशोक, कृषि, पशु, उद्यानिकी एवं मत्स्य विभाग के एसएडीओ एवं मैदानी कर्मचारी उपस्थित थे।
बैठक में कलेक्टर श्रीमती प्रियंका दास ने कहा कि जिले में कम रकवे में अधिक पैदावार हो। इसके लिये कृषि अधिकारी नये-नये नवाचार, उन्नत किस्म के बीज एवं क्रोप-पदत्ति से खेती को अपनायें। जिससे खेती घाटे का सौदा नहीं बल्कि लाभ का धन्धा बनें। उन्होनें कहा कि इसके लिये रिवाईन क्षेत्रों में अरहर, बाजरा पर विशेष जोर दिया जावे। इसके साथ ही उन्होनें कहा कि अरहर के मध्य मूंग, सोयाबीन, उड़द जैसी खेती अपनायें। जिससे अधिक आय में वृद्धि हो। बैठक में कलेक्टर ने कहा कि कृषि उत्पादन में कीट व्याध आदि प्रकार के रोग होते है। इसके लिये चिकित्सकों की सलाह बहुत जरूरी है। कृषि अधिकारी वैज्ञानिकों के माध्यम से उन दवाईयों को कृषकों को बतायें। जिससे विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होकर फसल को नष्ट न करें। कलेक्टर ने कहा कि खेती के साथ-साथ पशुपालन भी बहुत जरूरी है। इसके लिये नई नस्ल के पशुओं में क्रोस कर अच्छी नस्ल को बढ़ावा दें। जिससे दूध अधिक मात्रा में उत्पन्न हो और पशुओं की संख्या में वृद्धि हो। उन्होनें कहा कि खेती के साथ-साथ पशुपालन, उद्यानिकी और मत्स्य पालन को बढ़ावा दें, तो किसान की माली हालत में सुधार होगा और जिले का नाम प्रदेश के टॉपटेन सूची में आयेगा।
कलेक्टर ने कहा कि उद्यानिकी विभाग द्वारा अम्बाह और पोरसा में आलू की खेती अधिक की जाती है। इसके लिये सितम्बर माह में कृषिकों का प्रशिक्षण आयोजित किया जाये। जिसमें आलू की नई किस्म एवं उत्पादन के बारे में प्रशिक्षण दिया जावे। कलेक्टर ने कहा कि बकरी पालन को भी बढ़ावा दें। जिसमें बरबरी एवं जमुनापारी बकरी पालन करने के लिये कृषिकों को प्रेरित करें। यह बकरी साल में दो बार दो -दो बच्चों को जन्म देती है। जिससे कृषिकों आय के श्रोत बढ़ेगें। कलेक्टर ने कहा कि मुरैना जिले में क्षीर सागर अभियान के तहत बड़े-बड़े 39 तालाब चिन्हित किये गये है। जिनमें पूरे वर्ष पानी भरा रहता है। उन क्षेत्रों के लिये वहीं के कृषिकों के लिये पट्टे पर तालाब आवंटन करें। जिससे खेती के साथ-साथ मत्स्य पालन भी कर सकें।
बैठक में कलेक्टर ने समस्त विभागों से आगे की कार्य योजना पर होने वाला व्यय एवं प्रशिक्षण तथा मशीनरी और क्रो पदत्ति अपनाने पर होने वाले व्यय को व्यय का प्रस्ताव आत्मा की बैठक में शामिल करने पर जोर दिया। बैठक में कलेक्टर द्वारा कृषि विभाग के प्रत्येक एसएडीओ, पीटीए, उद्यानिकी विभाग के एसएडीओ, पशु चिकित्सा एवं मत्स्य विभाग के विकासखण्ड स्तर के अधिकारियों से डोर टू डोर अपने-अपने विभाग की अभी तक की गईं गतिविधियां एवं आगे के समय में क्या प्लानिंग है। इस संबंध में विस्तार से पूछताछ की।