लंदन । अगर आपकी पलकें ज्यादा या कम झपकती हैं तो आपको अलर्ट होने की जरूरत है। अक्सर कंप्यूटर पर काम करने वाले या टीवी और मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले लोग पलकें कम झपकाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि पलकें कम झपकाना भी आंखों के लिए खतरनाक है और इसके कारण आपको आंखों से संबंधित बीमारी हो सकती है। आई स्पेशलिस्ट्स की मानें तो सामान्य तौर पर एक इंसान की 1 मिनट में 10 बार पलकें झपकती हैं। ड्राई आई सिंड्रोम आंखों की ऐसी ही बीमारी है, जो पलकें कम झपकाने के कारण होती है. स्वस्थ आंखों की पुतलियां हमेशा गीली नजर आती हैं। दरअसल आंखों की पुतलियों पर एक खास तरह का लिक्विड होता है, जो लुब्रिकेंट की तरह काम करता है। जब आप पलकें झपकाते हैं, तो ये लुब्रिकेंट पुतलियों में अच्छी तरह फैलता रहता है और आंखों की पुतलियों पर नमी बरकरार रहती है। इसके उलट जब आप पलकें कम झपकाते हैं, तो लुब्रिकेंट सही तरीके से आंखों में फैलता नहीं है। इसी कारण आंखों में सूखापन आ जाता है, जिसे ड्राई आई सिंड्रोम कहा जाता है। ड्राई आई सिंड्रोम काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसमें आंखों में आंसू बनना कम हो जाते हैं या फिर उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं रहती। दरअसल आंसू, आंख के कॉर्निया व कन्जंक्टाइवा को नम व गीला रखकर उसे सूखने से बचाते हैं। वहीं हमारी आंखों में एक टियर फिल्म होती है, जिसकी सबसे बाहरी परत को लिपिड या ऑयली लेयर कहा जाता है। यही लिपिड लेयर आंसू के ज्यादा बहने, गर्मी एवं हवा में आंसू के सूखने या उड़ने को कम करती है। लिपिड या फिर यह ऑयली लेयर ही आंखों की पलकों को चिकनाई देती है, जिससे पलकों को झपकाने में आसानी रहती है।