नई दिल्ली । सरकारी क्षेत्र की हवाई कंपनी एयर इंडिया के बिगड़ते वित्तीय हालात के मद्देनजर सरकार ने इसके विनिवेश की योजना बना ली है। साथ ही उसने इसे किसी भारतीय कंपनी के हाथों सौंपने का इरादा भी जताया। नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लोकसभा में प्रश्नकाल में कहा कि एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। पुरी ने पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए सदन में कहा कि पिछली बार विनिवेश में हमें सफलता नहीं मिल पाई। पिछली बार की कमियों को दुरुस्त करने का प्रयास किया गया है। इस बार हमें विनिवेश में सफलता मिलने का विश्वास है। पुरी ने कहा कि एयर इंडिया के विनिवेश में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यह भारतीय हाथों में रहे। कोई भारतीय इकाई ही इसे चलाए। उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं कह रहा कि कौन होगा। जो प्रणाली बनी है, उसमें यह तय होगा।’
पुरी का कहना था कि जेट एयरवेज की उड़ान बंद होने के बावजूद देश का घरेलू बाजार बढ़ा है। आज रोज 580 जहाज उड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि देश का उड्डयन क्षेत्र (एविएशन सेक्टर) अप्रैल महीने को छोड़कर 17 फीसदी की दर से बढ़ा है। अप्रैल में जेट एयरवेज का संचालन बंद हो गया था। पुरी ने यह भी बताया कि एयर इंडिया के पास कुछ महत्वपूर्ण कलाकृतियां हैं जिन्हें मॉडर्न आर्ट गैलरी को सौंप दिया जाएगा। एयर इंडिया के घाटे के सवाल पर उन्होंने कहा कि जहां तक घरेलू उड्डयन बाजार (डोमेस्टिक एविएशन मार्केट) की बात है तो केवल एयर इंडिया नहीं बल्कि लगभग सभी विमानन कंपनियां घाटे में हैं।
एक प्रश्न के लिखित उत्तर में पुरी ने कहा कि 31 मई, 2018 को आखिरी तिथि तक एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के लिए कोई बोली प्राप्त नहीं होने पर, एयर इंडिया के लिए विशिष्ट वैकल्पिक तंत्र (एआईएसएएम) ने 18 जून, 2018 को आयोजित अपनी बैठक में कई निर्णय लिए। इनमें गैर-महत्वपूर्ण भूमि और भवन संपत्तियों का मौद्रीकरण करना शामिल है जिन्हें पहले ही चिह्नित किया जा चुका है। जवाब के मुताबिक सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि एयर इंडिया और उसकी सहयोगी कंपनियों की वित्तीय स्थिति को अंतिम रूप दिया जाए। उधर, सरकार ने हेलिकॉप्टर परिचालन से बाहर निकलने के एक और प्रयास के तहत पवन हंस की रणनीतिक बिक्री के लिए गुरुवार को नया बिड डॉक्युमेंट जारी किया। सरकार ने न्यूनतम 350 करोड़ रुपये नेटवर्थ वाली बोलीदाताओं को कंपनी की बिक्री की पेशकश की है। सरकार के पास पवन हंस की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है। शेष 49 प्रतिशत हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी के पास है। पवन हंस के बेड़े में 43 हेलिकॉप्टर हैं। सरकार का पवन हंस के रणनीतिक विनिवेश का पिछले 16 माह में तीसरा प्रयास है। पिछले वित्त वर्ष में पवन हंस को 72.42 करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान है। रुचि पत्र (लेटर ऑफ इंट्रेस्ट) देने की अंतिम तारीख 22 अगस्त, 2019 है। छांटे गए बोलीदाताओं को 12 सितंबर को सूचित किया जाएगा।