गोहद: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मौ में टेक्नीशियन नहीं हाेने की वजह से पिछले 6 महीनाें से एक्सरे मशीन बंद है। इसकी वजह से मरीजों काे 300 से 400 रुपए खर्च कर निजी सेंटर से एक्सरे करवाने पड़ रहे हैं। इससे सबसे ज्यादा दिक्कत कमजोर आर्थिक स्थिति वाले मरीजों काे आ रही है। अस्पताल में पहले एक टेक्नीशियन था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने उसका स्थानांतरण दूसरे ब्लाॅक में कर दिया।
एक्सरे रूम में ताला लग गया। समस्या काे खत्म करने में खुद स्वास्थ्य विभाग की ही रुचि नहीं है। क्याेंकि गोहद और मेहगांव में एक-एक रेडियोग्राफर काम कर रहे हैं। जिले से अन्य किसी टेक्नीशियन को भेजा नहीं जा रहा है। ऐसे में मरीजों की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
हफ्ते में एक दिन होते हैं एक्स-रे
अस्पताल में महीने में एक दिन ही मरीजों के एक्सरे किए जाते हैं। गुरुवार के दिन गोहद से टेक्नीशियन आता है। लेकिन अस्पताल में अगले छह दिन तक एक्स-रे मशीन बंद रहती है। इससे पहले चोटिल या फ्रेक्चर के लिए एक्स-रे कराने आए मरीजों को गुरुवार का समय दिया जाता है। इस दिन एक्सरे के लिए लंबी कतारें लगती हैं। मरीजों को लाइन लगाने के लिए सुबह से मशक्कत करनी पड़ती है। लेकिन इसके अलावा दूसरी दिक्कत यह भी है कि अभी अस्पताल में जाे एक्सरे मशीन है, वह पुराने पैटर्न की है। जबकि अब डिजिटल मशीनाें से एक्सरे रिपाेर्ट तैयार हाेती है। जाे ज्यादा सही हाेती हैं। मरीजों की सुविधा और उनके सही इलाज के लिए पुरानी मशीन की बजाय डिजिटल एक्सरे मशीन की व्यवस्था ज्यादा जरूरी है।
पुलिस प्रकरणों में बढ़ी दिक्कत, मरीज और अटेंडेंट होते हैं परेशान
पुलिस जांच के प्रकरणों में सबसे ज्यादा दिक्कतें आती हैं। पुलिस थानाें में दर्ज आपराधिक घटनाओं के घायलों की एक्सरे जांच सरकारी अस्पताल में ही की जा सकती है। ऐसे में इस तरह के मामलों में लाेगाें काे मेहगांव और गोहद के अस्पतालों में जांच के लिए जाना पड़ता है। अन्य मामलों में भी मरीजों काे शहर में संचालित एक्सरे सेंटर में जाकर शुल्क चुकाकर जांच करानी पड़ती है। अस्पताल में सोनोग्राफी की सुविधा के साथ ही महिला डॉक्टर नहीं है। तीन आठ साल पहले डॉ वंदना शर्मा के स्थानांतरण के बाद अभी तक अस्पताल में लेडी डाॅक्टर की नियुक्ति नहीं हो सकी है। जबकि प्रतिदिन ओपीडी में आने वाले मरीजों में 50 फीसदी महिलाएं होती हैं। लेकिन इलाज के अभाव में प्राइवेट अस्पतालों में चली जाती हैं। डॉ जेपी शर्मा ने बताया कि इसके लिए हमने अधिकारियों को अवगत कराया है, लेकिन अस्थायी टेक्नीशियन नहीं मिला है।