नई दिल्ली । सरकार खाने के तेल पर शुल्क लगाने के बारे में विचार कर रही है। यदि इसमें शुल्क लगाया गया तो इसकी कीमत बढ़ जाएगी। दरअसल सरकार खाने के तेल के भारी निर्यात पर लगाम लगाने के लिए एक राष्ट्रीय मिशन को फंड करने जा रही है। इसकी फंडिंग आयात पर शुल्क लगाकर की जाएगी। अनुमान के मुताबिक सरकार कच्चे व रिफाइंड खाद्य तेल पर 2-10 फीसदी के बीच शुल्क लगा सकती है। हाल ही के वर्षों में तेल के आयात पर 70 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च आ रहा है। खाने के तेल के आयात पर शुल्क लगाने से जो कमाई होगी वह एक राष्ट्रीय अभियान में लगाई जाएगी। इससे किसानों और स्थानीय उद्योगों को मदद मिलने की उम्मीद है। साथ ही मौजूदा वित्तीय घाटा भी कम होने का अनुमान है। इससे पहले इस अभियान को 10 हजार करोड़ रुपए का फंड देने पर विचार किया गया था। मलेशिया, इंडोनेशिया और अन्य आसियान देशों से आने वाले कच्चे पाम तेल पर 40 फीसदी कस्टम ड्यूटी लगती है। वहीं मलेशिया से आने वाले रिफाइंड पाम ऑयल पर 45 फीसदी ड्यूटी लगती है। अगर इस तेल को इंडोनेशिया या किसी अन्य आसियान देश से खरीदा जाए तो ड्यूटी 50 फीसदी तक हो जाती है। कुल मिलाकर कच्चे व रिफाइंड पाम तेल पर आयात शुल्क 44 से 54 फीसदी के बीच लगता है।