नई दिल्ली । अगर आपका बच्चा 2 से 4 साल के बीच का है तो आप बच्चों के बेवजह के नखरे यानी टैंट्रम्स का सामना करना पड़ता है। बच्चों के इन नखरे, चिड़चिड़ाहट और झुंझलाहट के साथ कैसे डील करना है यह भी पैरंटिंग का अहम हिस्सा है और हर मां-बाप को इसके साथ अच्छी तरह से डील करना आना चाहिए। कई बार माता-पिता को पता भी नहीं होता कि आखिर उनके बच्चे इतना नखरे कर क्यों रहे हैं, लेकिन हकीकत यही है कि इस तरह की चीजें भी बच्चे की सेहत और इमोशनल हेल्थ का एक अहम हिस्सा है। आमतौर पर अगर बच्चा भूखा है, बहुत ज्यादा थक गया है, बीमार है या फिर किसी वजह से अनकम्फर्टेबल महसूस कर रहा है तब वह ज्यादा रोता है, चिल्लाता है, मारने के लिए हाथ उठाता है, दांत काटता है, जमीन पर लोटता है या फिर अपनी सांस रोकने की कोशिश करता है और किसी की कोई बात नहीं सुनता। किसी भी पैरंट के लिए बच्चे का इस तरह का व्यवहार गुस्सा और निराश करने वाला हो सकता है। खासतौर पर तब जब बच्चे इस तरह का व्यवहार सार्वजानिक स्थानों पर करें। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस तरह नखरा करना उनकी सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है। जब आपका बच्चा रोता है तो वह अपने शरीर में मौजूद स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसोल को रिलीज करने की कोशिश करता है क्योंकि अगर यह हॉर्मोन शरीर के अंदर रह जाएगा तो यह शरीर के अहम अंगों और ब्रेन टिशूज को नुकसान पहुंचा सकता है। शरीर से कॉर्टिसोल के रिलीज होने से स्ट्रेस कम होता है और बच्चों में कई तरह की नकारात्मक भावनाएं भी दूर होती हैं।
शोध यह बात भी सामने आई है कि रोने से ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट कम होता है। इसकारण बच्चों का रोना और नखरे दिखाना उनकी सेहत के साथ-साथ इमोशनल हेल्थ के लिए भी अच्छा है। लेकिन सिर्फ तब तक जब उन्हें बदले में अपने मां-बाप का प्यार मिले। टैंट्रम्स का एक और फायदा यह है कि इससे बच्चे के ब्रेन के विकास में मदद मिलती है। अगर आप बच्चे के नखरों के साथ हेल्दी तरीके से डील करते हैं और उन्हें उनकी समस्याओं से निपटने में सकारात्मर रूप से मदद करते हैं तो इससे बच्चे के ब्रेन सेल्स के बीच कनेक्शन बनता है। लिहाजा बेहद जरूरी है कि आप अपने बच्चे के नखरों को पूरी सावधानी के साथ डील करें। बहुत से बच्चे नखरे दिखाकर अपना गुस्सा और फ्रस्टेशन निकालने की कोशिश करते हैं। हालांकि इस तरह का व्यवहार इस बात का संकेत है कि वह बच्चा अपने इमोशन्स के साथ संघर्ष कर रहा है।