ऐसे वर्गों के मददगार बनें जो प्रगति की दौड़ में पिछड़ गए है – डीजीपी
”अजा और अजजा वर्गों के प्रति संवेदनशीलता” विषय पर दो दिवसीय राज्यस्तरीय सेमीनार शुरू
भोपाल। फरियादी के आने पर बस इतना विचार कर लें कि यदि उसकी जगह मैं स्वयं होता तो क्या अपेक्षा करता। इतने भर से हम फरियादी के साथ न्याय और सही मायने में उसकी मदद कर पायेंगे। इस आशय के विचार प्रदेश के जन जातीय कार्य मंत्री मरकाम सिंह मरकाम ने पुलिस अधिकारियों का आह्वान करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के लोगों से सहृदयता और संवेदनशीलता के साथ जुडकर उनकी मदद करें, जिससे वे अपने आपको उपेक्षित महसूस न करें। मंत्री मरकाम बुधवार को मिण्टो हॉल पुराने विधान सभा भवन में ”अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति वर्गों के प्रति संवेदनशीलता” विषय पर शुरू हुई पुलिस अधिकारियों की दो दिवसीय राज्य स्तरीय सेमीनार के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस दोरान मरकाम ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के पीडित लोगों को पुलिस के माध्यम से राहत राशि वितरित कराने की बात इस मौके पर कही। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता पुलिस महानिदेशक विजय कुमार सिंह ने की। पुलिस मुख्यालय की अजाक शाखा की पहल पर आयोजित हो रही इस सेमीनार में प्रदेश भर से आए निरीक्षक से लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के 90 पुलिस अधिकारी शिरकत कर रहे हैं। इस अवसर पर जन जातीय कार्य मंत्री ने ”अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति वर्गों के प्रति संवेदनशीलता” विषय पर सेमीनार आयोजित करने के लिए पुलिस मुख्यालय की सरहाना की। साथ ही कहा इस प्रकार के सेमीनार एवं अन्य नवाचारों के जरिए मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के कल्याण के क्षेत्र में ऐसे बीज अंकुरित होंगे, जो पूरे देश के लिए उदाहरण बनेंगें। उन्होंने वर्तमान सामाजिक वातावरण को शायराना अंदाज में बताते हुए कहा कि’ काँच में पारा लगा दो तो आईना बन जाता है, व्यक्ति को आईना दिखा दो तो पारा चढ़ जाता है। मरकाम ने कहा अहम त्याग कर इस प्रकार की सोच बदलनी होगी। तभी हम इन वर्गो को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने में सफल होंगे। उन्होंने कहा कि अजा एवं अजजा वर्ग के विकास एवं कल्याण के लिए प्रदेश सरकार पूरी शिद्दत के साथ जुटी है। पुलिस महानिदेशक विजय कुमार सिंह ने कहा पुलिस के पास सदैव मदद करने का अवसर रहता हैं। इसलिए पुलिस अधिकारी मानवीय गुणों का परिचय देकर उनके मददगार बनें, जो प्रगति के दौर में भी पिछड़ गए हैं। उन्होंने कहा पुलिस अधिकारी आगे बढ़कर समाज के ऐसे लोगों की मदद के लिए आगे आए जो न्याय की मांग भी नही कर पाते हैं। श्री सिंह ने क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम से जुड़ीं सभी संस्थाओं के आपसी समन्वय पर विशेष जोर दिया। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अजाक शाखा प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने स्वागत उदबोधन दिया एवं सेमीनार की विषयवस्तु पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा अजा एवं अजजा वर्ग से संबंधित प्रकरणों के विवेचक एवं पर्यवेक्षकों को व्यवसायिक रूप से दक्ष बनाने के लिए अजाक शाखा द्वारा साल में दो बार इस प्रकार की सेमीनार आयोजित की जातीं हैं। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि उनके कार्य-व्यवहार में अजा एवं अजजा के प्रति संवेदनशीलता झलकना चाहिए। कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर सेमीनार का शुभारंभ किया। अंत में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अजाक शाखा प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने अतिथियों को स्मृति चिन्हृ भेंट किए। उदघाटन सत्र में पुलिस महानिदेशक लोकायुक्त अनिल कुमार, विशेष पुलिस महानिदेशक संजय राणा व पुरूषोत्तम शर्मा, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजेन्द्र मिश्रा, विजय कटारिया, बी.बी. शर्मा, डी.सी. सागर व अंशुमान यादव तथा पुलिस उप महानिरीक्षक अजाक आई.पी. अरजरिया सहित अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौजूद थे। संचालन सहायक पुलिस महानिरीक्षक अजाक विजय खत्री ने किया। जानकारी के अनुसार सेमीनार में पहले दिन तकनीकी सत्र में अजाक शाखा द्वारा तैयार की गई फिल्म प्रतिभागियों को दिखाई गई साथ ही प्रकरणों के बेहतर अनुसंधान पर प्रकाश डाला गया। इसके अलावा अजा एवं अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम, इन वर्गों के बीच एनजीओ का योगदान, राहत एवं पुनर्वास आदि विषयों पर विषय विशेषज्ञों ने प्रजेंटेशन दिया।