लोकसभा के आम चुनाव में देश के सभी राजनीतिक दलों ने बेरोजगारी को प्रमुखता से मुद्दा बनाया था। जिस तरह बेरोजगारी के आंकड़े सामने आ रहे हैं, वे वास्तव में चिंताजनक हैं। इस चिंता से वाकिफ देश की मोदी सरकार बेरोजगारी को लेकर कुछ नये और बड़े कदम उठाने की तैयारी कर रही है। इसके लिये देश में सातवें बार आर्थिक सर्वेक्षण होने जा रहा है।
केन्द्र सरकार ने सातवें आर्थिक सर्वेक्षण की तैयारी लगभग पूरी तरह कर ली है और इसके लिए देशभर में प्रशिक्षण का काम भी जारी है। ऐसा अनुमान है कि अगले छह माह में देश में समग्र आर्थिक सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया जाएगा। दरअसल, केन्द्र सरकार ने इस सर्वेक्षण में रोजगार के आंकड़े जुटाने का खास निर्णय लिया है। चाय-पानी की रेहड़ी से लेकर पटरी पर बैठने वालों तक को इस सर्वेक्षण के दायरे में लाने का निर्णय लिया गया है। इसमें करीब सत्ताईस करोड़ परिवारों को शामिल किया जायेगा। इसके साथ ही सात करोड़ स्थापित लोगों को भी इस दायरे में लाने का फैसला किया गया है। यह भी तय किया गया है कि सरकार अब इस तरह के सर्वेक्षण हर तीसरे साल करायेगी।
रोजगार के मामले में चाहे किसी भी दल की सरकार हो, विपक्ष के निशाने पर रही है। तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव और हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों में बेरोजगारी का मुद्दा प्रमुखता से उठा और बेरोजगारों को भत्ता देने सहित 21 लाख पद खाली होने के बावजूद नहीं भरे जाने और जीएसटी, नोटबंदी के कारण रोजगार के अवसर घटने को लेकर काफी विवाद रहा। सभी दलों ने अपने-अपने घोषणापत्रों में बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था। लेकिन यह माना जा रहा है कि वास्तव में बेरोजगारी भत्ता इसका कोई समाधान नहीं हो सकता, लेकिन रोजगार के अवसर पैदा करना सरकार का दायित्व भी होता है। दरअसल, सरकार आर्थिक सर्वेक्षण के माध्यम से स्पष्ट व सही आंकड़े प्राप्त करना चाहती है। आर्थिक सर्वेक्षण में सही आंकड़ा आना जरूरी है, क्योंकि इसी के आधार पर सरकार सामाजिक व आर्थिक विकास का रोडमैप तैयार करेगी।
जब सरकार के सामने वास्तविक आंकड़े होंगे तो लोगों के जीवनस्तर को ऊंचा उठाने,पानी, बिजली, स्वास्थ्य शिक्षा, परिवहन आदि सुविधाओं के विस्तार में सहायता मिल सकेगी। माना जाना चाहिए कि सर्वेक्षण के आंकड़े आते ही सरकारी स्तर पर विश्लेषण से लेकर उसके आधार पर आर्थिक विकास की व्यवहारिक योजनाओं पर अमल करना होगा ताकि लोगों के जीवनस्तर में सुधार हो और देश के प्रत्येक नागरिक को सम्मानजनक जीवन यापन करने के साधन उपलब्ध हो सकें।
(लेखक-अजित वर्मा)