जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि पिछले दो सौ वर्ष की तुलना में हाल के कुछ वर्षों में पृथ्वी के तापमान में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। इसके दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं, लेकिन आने वाले वक्त में हालात और भी बदतर हो जाएंगे, तब तमाम जीव के लिए संकट उत्पन्न हो जाएगा। इसका प्रमुख कारण पृथ्वी की सतह का तेजी से गर्म होना है। इस वजह से जहां मौसम का मिजाज पल-पल में बदल रहा है वहीं कुछ जगहों पर तो चंद घंटे बारिश होती दिखती है तो वहीं उसी समय तेज धूप भी निकल आती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन वैसे तो बहुत ही धीमी गति के परिवर्तन वाली प्रक्रिया है परन्तु वर्तमान में इस बदलाव की दर काफी तेज हो गई है। इस कारण दुनिया में संकट के बादल भी तेजी से घिरने लग गए हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जिससे समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है और अधिकांश मीठा पेयजल समुद्र में मिलकर खारा हो रहा है। आने वाले समय में इससे पेयजल का संकट गहराएगा तो वहीं समुद्र तटीय इलाकों के लिए भी संकट पैदा हो जाएगा, क्योंकि ये क्षेत्र जलमग्न हो जाएंगे और समुद्रीय हलचल वाली घटनाएं भी बढ़ जाएंगी। भू-जल स्तर गिरता चला जाएगा। कुल मिलाकर पेयजल संकट अपने चरम पर होगा। भविष्य की इस भयावह स्थिति को देखते हुए ब्रिटेन की अनेक महिलाओं ने बच्चे पैदा नहीं करने जैसा सख्त फैसला ले लिया है। खबरों के मुताबिक ब्रिटेन में जलवायु परिवर्तन के लिए काम करने वाले एक संगठन से जुड़ी अनेक महिलाओं ने प्रतिज्ञा ली है कि वो बच्चे पैदा नहीं करेंगी। दरअसल इन महिलाओं का कहना है कि इस संसार के लिए जलवायु परिवर्तन गंभीर समस्या बनती जा रही है। इस कारण दुनिया के लोगों को आगे चलकर सूखा, अकाल, बाढ़ और ग्लोबल वार्मिंग से दो-चार होना पड़ेगा। इसलिए इन महिलाओं ने बच्चे नहीं पैदा करने का निर्णय लेते हुए कहा है कि उनके ऐसा करने से आने वाली पीढ़ी का जीवन स्तर गुणवत्तापूर्ण हो सकेगा। विश्व की बढ़ती जनसंख्या जहां भोजन की कमी का कारण बनेगी वहीं इससे जुड़ी अन्य समस्याओं को भी पैदा करेगी। इसलिए जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में किसी न किसी को तो आगे आना ही होगा। बच्चा पैदा नहीं करने का फैसला ले चुकीं लंदन निवासी संगीतकार ब्लाइथे पेपीनों हृदय स्पर्शी बात कहती दिखी हैं। उनका कहना है कि वो चाहती तो हैं कि उनका भी एक बच्चा हो और अपने पार्टनर के साथ वो भी परिवार बनाकर रह सकें, लेकिन यह दुनिया बच्चों के रहने लायक नहीं है। इस तरह के और भी सदस्य हैं जो चाहते तो हैं कि उनका भी बच्चा हो, लेकिन भविष्य में उनके जीवन में आने वाली कठिनाइयों से वो इस कदर घबरा चुके हैं कि अब उन्होंने बच्चा पैदा नहीं करने का फैसला ले लिया है। कुल मिलाकर जनसंख्या नियंत्रण एक कारगर तरीका हो सकता है, लेकिन उससे ज्यादा प्रभावी यह होगा कि दुनिया एक बार फिर प्रकृतिस्थ हो। प्रकृति के विपरीत कार्य करने का दुष्परिणाम ग्लोबल वार्मिंग है और इसके नतीजे आने शुरु हों इससे पहले हमें इस पृथ्वी को पूरी तरह से हरा-भरा बनाते हुए उन तमाम कार्यों को करना शुरु कर देना चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ी को भी जिंदगी जीने के लिए शुद्ध हवा, शुद्ध जल और खेतीहर जमीन मिल सके। यहां यह नहीं भूलना चाहिए कि जैसे-जैसे पृथ्वी गर्म होती चली जाएगी, वैसे वैसे मौसम में होने वाले परिवर्तन भी समाप्त प्राय: हो जाएंगे। सर्दी, गर्मी और बारिश जैसे बदलते मौसम की बजाय एक ही मौसम में जीवन जीने को मानव व पशु-पक्षी मजबूर होंगे। पृथ्वी को प्रदूषण से बचाने के लिए भी ज्यादा से ज्यादा प्रयास होने चाहिए। इसके लिए कार्बन-डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम से कम हो, इसकी भी कोशिशें आम होनी चाहिए। इसके लिए जरुरी हो जाता है कि मानव भौतिक सुख-सुविधाओं से परहेज करते हुए प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए आगे बढ़े। संभव है कि ऐसा होने के बाद जलवायु परिवर्तन की गति में कुछ कमी आए और एक बार फिर पृथ्वी आने वाली पीढ़ी के जीवन के लिए भी उत्तम साबित हो।
(लेखक- डॉ हिदायत अहमद खान)