पूर्व मुख्यमंत्री ने 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष से चर्चा के दौरान रखी अपनी बात
भोपाल मध्यप्रदेश का एक बड़ा हिस्सा वनों से आच्छादित है। यहां की आबादी में बड़ी संख्या वनवासियों की है। प्रदेश में खनिज संपदा भी भरपूर है, जिससे प्रदेश का और अधिक विकास किया जा सकता है। इसलिए मध्यप्रदेश को उसके संसाधनों पर अधिक हिस्सेदारी दी जानी चाहिए। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष शिवराजसिंह चौहान ने 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह से चर्चा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि 14 वें वित्त आयोग के दौरान उनके संयोजन में गठित की गई मुख्यमंत्रियों की समिति ने जो अनुशंसाएं की थीं, आयोग उन पर भी गंभीरता से ध्यान दे।
15 वें वित्त आयोग का एक दल अध्यक्ष एन.के.सिंह के नेतृत्व में मध्यप्रदेश प्रवास पर आया है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने गुरुवार को इस दल के साथ बैठक की। चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने वित्त आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों को बताया कि मध्यप्रदेश की 15 लाख हेक्टेयर भूमि वनों से आच्छादित है। इसके चलते यहां लागू की जाने वाली किसी भी परियोजना की लागत बढ़ जाती है। दूसरी तरफ अत्यधिक वन क्षेत्र होने के कारण राज्य को केंपा निधि में अधिक योगदान देना पड़ता है, इसलिए इस मद में राज्य को पर्याप्त राशि मिलनी चाहिए।
– आदिवासियों के विकास के लिए विशेष प्रावधान हों
पूर्व मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वित्त आयोग के दल को बताया कि प्रदेश की आबादी में 22 फीसदी से अधिक हिस्सा जनजातीय आबादी का है, इस कारण इनकी बसाहट वाले क्षेत्रों के अधिक विकास की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय का आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक विकास कर इन्हें राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए धनराशि की आवश्यकता होती है, जिसके लिए विशेष आर्थिक प्रावधान किए जाने चाहिए।
खनिज भरपूर, प्रदेश को भी मिले इसका लाभ – पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रदेश की समस्याओं की चर्चा करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में देश के अन्य राज्यों बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ तथा झारखंड आदि के समान ही खनिज संपदा उपलब्ध है। चूंकि सभी मुख्य खनिज तत्वों का नियंत्रण भारत सरकार के हाथ में है इसलिए केंद्र सरकार मध्यप्रदेश को उसके खनिज संसाधनों से होने वाले लाभ में पर्याप्त हिस्सेदारी दे।