प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर पार्टी में सुचिता बनाये रखने का संदेश दिया है। भाजपा संसदीय पार्टी की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने बड़े सख्त लहजे में गत दिनो भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे आकाश विजयर्गीय द्वारा एक अधिकारी को पीटने से जुड़े घटनाक्रम पर गहरा संज्ञान लेते हुए नसीहत दी है कि चाहे बेटा किसी का हो मनमानी नहीं चलेगी। हालांकि प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में किसी का नाम नहीं लिया। मगर उनका ईशारा स्पष्ट रूप से आकाश विजयीवर्गीय की तरफ ही था।
उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार जो पार्टी का नाम खराब करता है, किसी भी परिस्थिति में अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि अगर किसी ने कुछ गलत किया है तो कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह बात सभी पर लागू है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी की छवि खराब करने वाले काम को अस्वीकार्य बताते हुए कहा है कि पार्टी के सांसद से लेकर हर छोटा या बड़ा कोई भी कार्यकर्ता अगर गलत काम करता है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा है कि किसी प्रकार का घमंड, अहंकार या दुव्र्यवहार, जिससे पार्टी की छवि धूमिल हो, अस्वीकार्य है और अगर ऐसा कोई करता है, तो उसके विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने इसके साथ ही उन लोगों को भी आड़े हाथों लिया जो इस प्रकार की घटना को महिमामंडित करते हैं। उन्होने कहा कि घटना में शामिल लोगो के प्रति समर्थन दिखाने वालों को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिये। पूरी यूनिट भंग की जाए। वहीं उन्होंने सांसदों को किसी भी विवादित टिप्पणी से बचने की सलाह दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम दिन-रात इसलिए मेहनत नहीं कर रहे कि ऐसी हरकत की जाए। मोदी ने कहा कि किसी का बेटा होने का ये मतलब नहीं कि मनमानी की छूट होगी।
प्रधानमंत्री के कड़े रूख ने उन सभी नेताओं को सावधान कर दिया है जो अपने व्यवहार से अक्सर पार्टी को कटघरे में खड़ा करते रहते हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान एक विवादित बयान देने पर भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर को भी प्रधानमंत्री ने जमकर लताड़ लगायी थी। साध्वी के बयान ने तो प्रधानमंत्री को इतना आहत किया था कि उन्होने यहां तक कह दिया था कि वो उन्हे मन से कभी माफ नहीं कर पायेगें। मोदी की फटकार के बाद से साध्वी ने लम्बी चुप्पी साध रखी है।
केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरीराज सिंह ने बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के यहां आयोजित रोजा इफ्तार पार्टी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जाने पर विवादित टिप्पणी की थी। जिस पर प्रधानमंत्री ने नाराजगी जतायी थी व गिरीराज सिंह को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के समक्ष सफाई देनी पड़ी थी। भाजपा के उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज पहले अक्सर विवादित बयान देकर पार्टी को कटघरे में खड़ा करवाते रहते थे। उनके बड़बोले बयानो से तंग आकर आखिर में प्रधानमंत्री मोदी को उनको चेताना पड़ा था तब कहीं जाकर उनके बयानो पर रोक लग पायी थी। इसी तरह पूर्व में एक बार सुब्रमण्यम स्वामी को भी मोदी ने बेबजह ना बोलने का ईशारा किया था।
गत लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तरप्रदेश के संतकबीर नगर के भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी का लोकसभा टिकट महज इस लिये काट दिया था कि उन्होने एक सरकारी मिटिंग में अपनी ही पार्टी के विधायक राकेश सिंह बघेल की जूते से पिटाई कर दी थी। जबकि शरद त्रिपाठी मोदी के निकटवर्ती लोगों में शुमार होते थे। मगर गलती करने वाले को मोदी माफ नहीं करते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भी मोदी ने पार्टी के कई ऐसे सांसदो के टिकट काटे भी थे जो पार्टी लाइन से हटकर मनमाना बयान देते रहते थे। प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिपुरा में भाजपा की जीत के बाद वाम विचारधारा के प्रतीक व्लादिमीर लेनीन की मूर्ति तोडऩे की घटना की कड़ी निंदा की थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपनी पार्टी में अमर्यादित भाषा बोलने वाले व अपराधों में शामिल नेताओं को सख्त संदेश देकर यह बता दिया है कि असंसदीय व्यवहार करने वालों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। चाहे वो कितना ही बड़ा नेता क्यों ना हो। प्रधानमंत्री मोदी का बयान राजनीति में एक अच्छी शुरूआत मानी जायेगी की भाजपा के बड़े नेता अपनी पार्टी के बड़बोले नेताओं के विवादित बयान देने को गंभीरता से लेते हुये उनको ऐसा करने से रोकने का प्रयास कर रहें हैं।
प्रधानमंत्री का बयान मौजूदा दौर में दूषित होती राजनीति के शुद्विकरण की दिशा में एक सार्थक पहल है। इसका सभी दलों के नेताओं को अनुशरण व स्वागत करना चाहिये। राजनीति क्षेत्र में सक्रिय सभी दलों के नेता यदि प्रधानमंत्री मोदी की तरह अपने दलों के बड़बोले नेताओं पर लगाम लगायें तो नि:संदेह ही देश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा जो देश के लिये एक शुभ संकेत होगा।
(लेखक- रमेश सर्राफ धमोरा )