विधानसभा: तीखी नोंक-झोंक के बीच जारी रही कार्रवाई, भाजपा का बहिर्गमन
भोपाल। मध्यप्रदेश की पंद्रहवी विधानसभा के तृतीय सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को तीखी नोंक-झोंक के बीच विधानसभा दोपहर तक संचालित हुई। प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी दल भाजपा ने किसानों की कर्जमाफी को लेकर बहिर्गमन किया। ध्यानाकर्षण के दौरान भाजपा सदस्य यशपाल सिंह सिसौदिया ने विकलांगों के कृत्रिम अंग न मिलने का मामला उठाया। वहीं, विजय सक्सेना ने जबलपुर के मदन महल क्षेत्र से हटाए गए विस्थापितों को बुनियादी सुविधाएं न मिलने का मामला उठाया। विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापित ने दोपहर को सदन बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। बुधवार को 11.05 मिनिट पर कमल नाथ सरकार द्वारा विधानसभा में प्रदेश का बजट पेश किया जायेगा। वित्त मंत्री तरुण भनोट सदन में बजट भाषण पढ़ेंगे। 11 और 12 जुलाई को बजट पर चर्चा की जाएगी।
सूत्रों का कहना है कि इस बार कमल नाथ सरकार जनता को राहत देने के मूड में है। कोई नया कर प्रस्तावित नहीं किया गया है। हालांकि बजट में पिछली बार के मुकाबले 10 से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी संभव है।बजट अनुमान करीब 2.30 लाख करोड़ हो सकता है। बार सरकार प्रदेश का बजट 2.04 करोड़ था। कमल नाथ सरकार को उद्देश्य कृषि, युवा रोजगार, शिक्षा, उद्योग और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराना है। जनता को दिये वचन पूरे करने के लिए सरकार एडीशनल रिसोर्स मोबलाइजेशन (एआरएम) पर फोकस कर रही है। इसके जरिए करीब 10 हजार करोड़ अतिरित राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।
राजस्व में बढ़ोतरी का लक्ष्य
परिवहन विभाग, खनिज, आबकारी, पंजीयन, वाणिज्यिक कर, जल संसाधन आदि विभागों के राजस्व लक्ष्य में बढ़ोतरी की जाएगी। ज्यादा राजस्व जुटाने के लिए इन विभागों के अधिनियमों व नियमों में संशोधन होगा।
बजट के बाद कभी भी स्थगित होगा सत्र
भाजपा ने अपनी शक्ति प्रदर्शन की पूरी तैयारी की है। इसलिए नाथ सरकार ने हंगामें से बचने के लिए सत्र के शुुरुआती दिनों की बजट पेश करने का फैसला लिया। 26 जुलाई तक के लिए बुलाया गया सत्र विपक्ष के हंगामे के कारण कभी भी सत्र स्थगित किया जा सकता है।
किसानों पर राहत की बारिश
किसानों का कर्ज माफ करने वाले सरकार ने बजट में भी पूरा फोकस किसानों पर ही रखा है। कृषि क्षेत्र के लिए बजट में पिछली बार के मुकाबले करीब 40 प्रतिशत ज्यादा राशि की बढोतरी की जाएगी।
यह नई योजनाएं
स्वास्थ्य का अधिकार
सरकार राइट टू हेल्थ के तहत महाआयुष्मान योजना लागू करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए बजट में 1570 करोड़ की राशि का प्रावधान हो सकता है।
पानी का अधिकार
कमल नाथ सरकार ‘पानी का अधिकारÓ कानून बनाने जा रही है। कानून के तहत इसके तहत हर घर में नलों से पानी सप्लाई करने का लक्ष्य रखा गया है।
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कमल नाथ ने की घोषणा-
70 प्रतिशत रोजगार स्थानीयों को देना होगा
मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि निजी क्षेत्र में 70 प्रतिशत स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराना होगा। जल्दी ही इस आशय का कानून लाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह आश्वासन विधानसभा में प्रश्नोत्तरकाल की कार्यवाही के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि सरकार विपक्षी सदस्यों की भावना से सहमत है और यह हमारे लिए चिंता का विषय भी है कि कैसे प्रदेश के बच्चों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके। उन्होंने स्मरण कराया कि प्रदेश में हमारी सरकार बनते ही सबसे पहले हमने इसी मुददे पर बात की थी, जिसको लेकर उत्तरप्रदेश और बिहार के लोग नाराज हो गए थे और हमारे इस निर्णय की आलोचना भी हुई थी। उन्होंने कहा कि सभी प्रदेशों में स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार देने में प्राथमिकता दी जाती है तो फिर हमारे यहां ऐसा क्यों नहीं हो सकता। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि बहुत जल्द ही ऐसा कानून लाया जाएगा। सर्वप्रथम यह प्रश्न उठाते हुए भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसादिया द्वारा एमपीपीएससी की परीक्षा में बैठने वाले बाहरी उम्मीदवारों की उम्र बढाने का विरोध किया और प्रदेश के बेरोजगारों के साथ अन्याय होने की बात कही। उन्होंने कहा कि कतिपय आला अधिकाकारियों द्वारा षडयंत्र पूर्वक अपने करीबियों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार को गुमराह कर बाहरी उम्मीदवारों की उम्र 27 से बढाकर 40 साल कर दी गई है। उन्होंने इस निर्णय का विरोध किया।
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आर्थिक सर्वेक्षण में खुलासा
देश के अन्य राज्यों से पिछड़ रहा प्रदेश
बजट पेश करने से पहले मंगलवार को मध्यप्रदेश का आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 पेश किया गया। सर्वेक्षण में कहा गया है कि राज्य की सामाजिक आर्थिक विकास की समीक्षा करने पर स्थिति स्पष्ट है कि प्रदेश मानव विकास के मानकों पर देश एवं समान परिस्थितियों वाले राज्यों की तुलना में पिछड़ रहा है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि गरीबी उन्मूलन आकड़े और स्वास्थ्य सूचकांकों को राष्ट्रीय स्तर के समकक्ष लाना एक प्रमुख चुनौती है। शिक्षा और पोषण के क्षेत्र मे भी राज्य की स्थिति अच्छी नहीं है। मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति आय देश एवं समान परिस्थिति वाले राज्यों की तुलना में काफी कम है। मध्यप्रदेश को कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों की श्रेणी में रखा जाता है। वित्त वर्ष 2018-19 के प्रचलित मूल्य पर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 90 हजार नौसौ 98 रुपए थी, जो देश की प्रति व्यक्ति आय एक लाख 26 हजार छह सौ 99 रूपयों का मात्र 71.8 प्रतिशत है। सर्वेक्षण के अनुसार देश के प्रमुख राज्यों में बिहार, झारखंड, ओडिशा और उत्तरप्रदेश को छोड़कर शेष राज्यों की प्रति व्यक्ति आय मध्यप्रदेश से अधिक है।
गरीबों की संख्या भी अधिक
मप्र में गरीबों की संख्या भी अधिक है। देश में गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले व्यक्तियों का अनुपात 21.92 प्रतिशत और मध्यप्रदेश में 31.65 प्रतिशत है। उत्तरप्रदेश और बिहार को छोड़कर मध्यप्रदेश में सर्वाधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे है, जिनकी संख्या दो करोड़ 34 लाख है।
पानी के मामले में भी मप्र पीछे है। राज्य में सिर्फ 23 प्रतिशत घरों में नल द्वारा पानी आता है। कृषि मजदूरी की दर 210 रूपए देश के अन्य राज्यों की तुलना में न्यूनतम है। सर्वेक्षण के अनुसार मनरेगा में 68. 25 लाख परिवार दर्ज हैं, जो व्यापक गरीबी का सूचक है। प्रदेश में प्रति हजार जीवित जन्म पर शिशु मृत्यु दर 47 है, जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है। राष्ट्रीय स्तर पर शिशु मृत्यु दर 33 प्रति हजार है। मातृत्व मृत्यु दर प्रति एक लाख प्रसव पर 173 है, जो राष्ट्रीय दर 130 और अधिकतर राज्यों की तुलना में बहुत अधिक है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार मप्र में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर 77 (वर्ष 2011) है, जो कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में असम को छोड़कर सर्वाधिक है। प्रदेश में 52.4 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी से पीडि़त हैं। अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के पद खाली पड़े हैं।