मुम्बई। आईसीसी विश्व कप में टीम इंडिया के बाहर होने के बाद अब बीसीसीआई ने हार के कारणों पर अपनी कार्रवाई शुरु कर दी है। इसमें सबसे पहले बोर्ड के निशाने पर सहायक कोच संजय बांगर हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्य कोच रवि शास्त्री समेत अन्य कोचिंग स्टाफ के करार को 45 दिनों के लिए बढ़ाया जा सकता है पर सहायक कोच बांगर को हटाया जा सकता है। बोर्ड के एक वर्ग का मानना है कि बांगर ने अपना काम ठीक से नहीं किया।
बांगर सहायक कोच होने के साथ-साथ टीम के बल्लेबाजी कोच भी हैं। विश्व कप में भारतीय बल्लेबाजी उम्मीद के अनुरुप नहीं रही और मध्य क्रम नाकाम रहा। गेंदबाजी कोच भरत अरुण और फील्डिंग कोच आर श्रीधर ने पिछले डेढ़ साल में शानदार काम किया है, पर बांगर के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता क्योंकि कई बार टीम की बल्लेबाजी संघर्ष करती दिखी है। इसके अलावा नंबर-4 पर बल्लेबाजी के लिए भी वह सही विकल्प नहीं दे पाये।
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘ हम खिलाड़ियों को पूरा समर्थन दे रहे हैं क्योंकि वह केवल एक मैच ही खराब खेले, लेकिन स्टाफ की प्रक्रिया और निर्णय की जांच की जाएगी और उनके भविष्य के बारे में निर्णय लिया जाएगा।’ ऑलराउंडर विजय शंकर के चोटिल होकर टूर्नामेंट से बाहर होने से पहले बांगर ने यह भी कहा था कि भारतीय ऑलराउंडर पूरी तरह से फिट है।
अधिकारी ने कहा, ‘चोटिल होने के कारण शंकर के टूर्नामेंट से बाहर होने से पहले बांगर का यह कहना कि ऑलराउंडर पूरी तरह से फिट है, एक साधारण सी बात थी। चीजें कहीं न कहीं व्यवस्थित नहीं थीं। प्रबंधन क्रिकेट से जुड़े निर्णय को लेकर भम्रित था और साथ ही क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) की अनदेखी भी कर रहा था, जो कि एक शर्म की बात है।’ बताया जा रहा है कि टीम के बल्लेबाजों को अगर कोई दिक्कत होती थी तो वह पूर्व बल्लेबाजों से सलाह लेते थे।
टूर्नामेंट के दौरान टीम मैनेजर सुनील सुब्रमण्यम के रवैये ने भी बोर्ड के कुछ अधिकारियों को अचंभे में डाल दिया। अधिकारी ने कहा, ‘टीम मैनेजर के साथ बातचीत करने वाले हर व्यक्ति को उनके आचरण से निराशा हुई। ऐसा लग रहा था कि अपने दोस्तों के लिए टिकट और पास प्राप्त करना और अपनी टोपी की स्थिति को सही करना ही उनकी पहली प्राथमिकता है।’