कांग्रेस के युवा अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले 2 वर्षों में पार्टी संगठन में जान फूंकने के लिए काफी मेहनत की। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़े आक्रमक ढंग से हमला किया। इसके परिणाम भी कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए बेहतर रहे। भारतीय जनता पार्टी की रणनीति थी, कि राहुल गांधी को नरेंद्र मोदी के सामने खड़ा करके विधानसभा एवं लोकसभा के चुनाव लड़े जाएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने राहुल गांधी की छवि काफी कमजोर होने होने से, इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा। गुजरात विधानसभा के चुनाव में जिस आक्रामक तरीके से राहुल गांधी ने चुनाव लड़ा। गुजरात में सरकार भले कांग्रेस की नहीं बन पाई। लेकिन कांग्रेस की ताकत कई गुना गुजरात में बढ़ी। देश में काग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी की लोकप्रियता में भी इजाफा हुआ। कर्नाटक के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बडे आक्रमक तरीके से चुनाव लड़ा। सभी जिलों में एक-एक केंद्रीय मंत्री की ड्यूटी लगाई गई। सभी विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक सांसद की ड्यूटी लगाई गई। हर मतदान केंद्र में 20 पन्ना प्रमुख तैनात किए गए। कांग्रेस और जनता दल अलग-अलग चुनाव लड़े। उसके बाद भी कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी स्पष्ट बहुमत पाने में नाकाम रही। कांग्रेस और जनता दल के गठबंधन से कर्नाटक में गैर भाजपा सरकार बनी।
मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव को राहुल गांधी ने बड़ी आक्रामकता के साथ लड़ा, और इन तीनों राज्यों में कांग्रेस सफल हुई । कांग्रेस का वोट प्रतिशत और लोकप्रियता भी इन तीनों राज्यों के साथ साथ पूरे देश भर में बढी । जिसके कारण कांग्रेस अति उत्साहित हो गई । लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का यही उत्साह और जोश उसको ले डूबा।
लोकसभा चुनाव के प्रचार में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल घोटाले को लेकर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। सारे देश में राहुल गांधी की इस आक्रामकता के कारण उनकी लोकप्रियता में भी इजाफा हुआ। राष्ट्रीयता के मुद्दे पर पुलवामा की सर्जिकल स्ट्राइक और विपक्ष के बिखराव होने के कारण मोदी वर्सेस राहुल गांधी के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी पिछड़ गए। प्रधानमंत्री पद की दौड़ में होने के कारण आम मतदाताओं के बीच यही संदेश गया, कि उन्हें मोदी या राहुल गांधी में से किसी एक को चुनना है। जिसके कारण लोकसभा चुनाव परिणाम में कांग्रेस के वोट बढ़े, सीटे भी बढी। इसके बाद भी राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद जिस तरीके से हार स्वीकार करते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया। उसके बाद कांग्रेस को मझधार में छोड़ते हुए गांधी परिवार को कांग्रेस पार्टी के संगठन से दूर रहने की घोषणा कर दी। उस पर अभी तक अटल हैं जिसके कारण कांग्रेस सारे देश में बड़ी तेजी के साथ बिखर रही है।
कांग्रेस संगठन में राहुल गांधी की स्वीकार्यता तेजी के साथ बड़ी थी। बुजुर्ग नेताओं ने भी राहुल गांधी का नेतृत्व कमोबेश स्वीकार कर लिया था। ऐसी स्थिति में विपक्ष में रहकर यदि वही आक्रामकता वह बनाए रखते, तो सारे देश में कांग्रेस और मजबूती के साथ अपना स्थान बनाती। लेकिन पिछले डेढ़ माह से कांग्रेस संगठन के साथ उन्होंने जो दूरियां बनाई है। उससे मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक जैसे राज्यों में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई है । अब तो गोवा जैसे राज्य में 10 कांग्रेस विधायक टूट कर भाजपा का पाला थाम चुके हैं। कुछ यही स्थिति कर्नाटक में भी बनी हुई हैं। कांग्रेस में भगदड़ की स्थिति बनी है। उसके लिए स्वयं राहुल गांधी जिम्मेदार हैं। कांग्रेस गांधी परिवार से जुड़कर राजनीति करती रही है। यदि कांग्रेस में गांधी परिवार का कोई सदस्य नेतृत्व करने तैयार नहीं होता है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस को एकजुट रख पाना संभव नहीं होगा। भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद सुनियोजित रूप से राहुल गांधी पर जो दबाव बनाया था। उसमें राहुल गांधी बुरी तरह फस गए हैं। कांग्रेस आज की तारीख में सबसे बुरी स्थिति से गुजर रही है। राहुल गांधी यदि यह सोचते हैं कि कांग्रेस के कमजोर होने के बाद उनकी स्थिति मजबूत होगी, जो कांग्रेसी अध्यक्ष के रूप में थी। यह सोच उनकी पूरी तरह गलत है। मैदान से भागने वाले सेनापति के पीछे कोई नहीं होता है। राहुल गांधी ने ऐसे समय में मैदान छोडा है जब उनकी जरुरत थी। विपक्ष में रहकर वह नेता बन रहे थे। पार्टी संगठन एवं आम जनता के बीच उनकी छवि एक योद्वा के रुप में बनी थी। किन्तु जिस तरह उन्होंने मैदान छोडा है। उसके बाद वह कांग्रेस संगठन में भगोडा माने जा रहे हैं। आम जनता के मन में भी राहुल गांधी की नेत़त्वशीलता पर विश्वास बना था। वह भी टूट रहा है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस के साथ-साथ गांधी परिवार की मुसीबतें भी आने वाले समय पर और बढेंगी। कांग्रेस में सत्ता संघर्ष बढेगा। जिसके कारण जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं। जिन राज्यों में अगले कुछ माहों में चुनाव होना है।वहॉं की संभावनायें भी चुनाव के पहिले ही समाप्त हो गई हैं।
(लेखक-सनत जैन )