नई दिल्ली । हर भारतीय के किचन में पाए जाने वाली हींग कई बीमारियों के लिए रामबाण औषधि है। भारतीय व्यंजनों में खासतौर पर खुशबू और स्वाद के लिए हींग का प्रयोग किया जाता है। हींग की तेज खुशबू व्यंजन में एक अलग जायका लाती है। यह दाल में तड़का लगाने से लेकर सब्जी में खुशबू के लिए भी इस्तेमाल की जाती है। आमतौर पर ये गहरे लाल या फिर भूरे रंग की होती है। लेकिन इसके अलावा भी हींग के बहुत सारे फायदे हैं जिसकी वजह से इसका इस्तेमाल लगभग हर किचन में किया जाता है। जी हां हींग कई बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। दाल को तड़का लगाने, सांभर बनाने या फिर कढ़ी बनाने में हींग का इस्तेमाल किया जाता है। इसके औषधीय गुण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पाने में हमारी मदद करते हैं। जुकाम, सर्दी, अपच आदि बीमारियों के लिए यह एक अचूक औषधि होती है। इसके अलावा भी हींग के बहुत से फायदे हैं। एक हींग का पौधा दूध देने के लिए पांच वर्ष में तैयार होता है। एक हींग के पौधे से आधा से लेकर एक किलो तक कच्चा दूध मिलेगा। सामान्य तौर पर गुणात्मक दृष्टि से हींग 11 हजार रुपये से 40 हजार रुपये तक बिकता है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि भारत हींग का सबड़े बड़ा उपभोक्ता है। इसके बाद भी भारत में एक ग्राम हींग का भी उत्पादन नहीं होता है। हींग ज्यादातर अफगानिस्तान, ईरान समेत दूसरे मुस्लिम देशों से भारत आती है, लेकिन अब हिमाचल प्रदेश के किन्नूर जिले के गांव लिप्पा में हींग की खेती से चमत्कार होने वाला है। बस पांच साल का इंतजार करने की जरूरत रहेगी। उसके बाद हींग के एक पेड़ से 40 हजार रुपये तक मूल्य का दूध निकलेगा। यानी हींग के एक पेड़ से अधिकतम एक किलो दूध निकलेगा, जो किसान की आर्थिकी का हिस्सा बनेगा। प्रदेश के छह जिलों में हींग पैदा होने की संभावनाएं हैं। जनजातीय लाहुल-स्पीति जिला के उदयपुर ब्लॉक की पांच पंचायतों में किसानों को हींग का बीज बांटा गया। बता दें कि हर साल देश में 8,800 करोड़ रुपये मूल्य का हींग आयात होता है। हाल ही में लाहुल-स्पीति के कई क्षेत्रों में हींग की तीन जंगली किस्में प्राप्त हुई हैं। इन किस्मों पर शोध शुरू हुआ है। इस समय हींग का उच्च गुणवत्ता का बीज इरान व तुर्की से लाया गया है।