सावन का महीना यानी शिव की भक्ति. इस महीने में भोलेनाथ के दर्शन के लिए लोग दूर-दराज जाते हैं. यह महीना भोलेनाथ को खुश करने के लिए अत्यंत प्रिय है. ऐसी मान्यताएं हैं कि भगवान विष्णु के सो जाने के बाद इस महीने में भगवान शिव तीनों लोक की रक्षा करते हैं. आइए आपको बताते भगवान शिव के उन पवित्र धामों के बारे में बताते हैं जहां सावन का मेला लगता है.
हरिद्वार का सावन मेला-
शिव भक्तों के लिए सावन का सबसे बड़ा मेला हरिद्वार में लगता है. कांवड़ियों के पहुंचने का सिलसिला यहां सावन आते ही शुरू हो जाता है. म-बम भोले के जयकारों के साथ शिवालयों में महादेव की अराधना की जाती है. इसके बाद लोग गंगा का पवित्र जल कांवड़ में लेकर रवाना होते हैं.
झारखंड के देवघर का श्रावणी मेला-
हर साल करोड़ों कांवड़िये झारखंड के देवघर जिला स्थित विश्व प्रसिद्ध वैद्यनाथ धाम में बिहार के सुल्तानगंज में गंगा नदी से जल लेकर द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक का जलाभिषेक करते हैं. देवघर का सावन मेला भगवान शिव के सबसे बड़े मेलों में शुमार है
काशी विश्वनाथ मेला-
सावन का एक और बड़ा मेला काशी में भी लगता है. काशी के विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए सात मार्गों से कांवरिया यहां पैदल आते हैं. सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ रहती है.
लखीमपुर का सावन मेला-
सावन का पवित्र महीना शुरू होते ही भोले के भक्त पूरी भक्ति के साथ प्रभु का गुणगान करते हैं. छोटी काशी के नाम से विख्यात पौराणिक नगरी में सावन का मेला शुरू होते ही देश प्रदेश के लाखों श्रद्धालु अवढरदानी के जलाभिषेक को उमड़ते हैं.