रूद्र और शिव पर्यायवाची शब्द हैं, रूद्र शिव का प्रचंड रूप है. शिव कि कृपा से समस्त ग्रह बाधाओं का, समस्त समस्याओं का नाश होता है. शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए शिवलिंग पर मन्त्रों के साथ विशेष वस्तुएं अर्पित की जाती हैं, इस पद्धति को रुद्राभिषेक कहा जाता है. इसमें शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रो का पाठ किया जाता है. सावन में रुद्राभिषेक करना और भी शुभ होता है. इससे शीघ्र ही मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इसके अलावा कष्ट की स्थिति में और ग्रहों की पीड़ा को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक अमोघ होता है.
क्या है शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करने का सही तरीका?-
– मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना काफी उत्तम होता है.
– इसके अलावा घर में पार्थिव शिवलिंग पर भी अभिषेक कर सकते हैं
– घर से ज्यादा मंदिर में, इससे ज्यादा नदी तट पर और इससे ज्यादा पर्वतों पर फलदायी होता है.
– शिवलिंग के अभाव में अंगूठे को भी शिवलिंग मानकर उसका अभिषेक और पूजा की जा सकती है.
किस पदार्थ से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है?-
– घी की धारा से अभिषेक से वंश का विस्तार होता है.
– इक्षुरस से अभिषेक से मनोकामनाएं पूरी होती हैं , दुर्योग नष्ट हो जाते हैं
– शक्कर मिले दूध से अभिषेक से , व्यक्ति विद्वान हो जाता है.
– शहद से अभिषेक से पुरानी से पुरानी बीमारियाँ नष्ट हो जाती हैं.
– गाय के दूध से अभिषेक से आरोग्य की प्राप्ति होती है.
– शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक से संतान प्राप्ति सरल हो जाती हैं.
– भस्म से अभिषेक से व्यक्ति मुक्ति मोक्ष प्राप्त कर लेता है.
– तेल से भी शिव जी का अभिषेक होता है. परन्तु यह मारण प्रयोग है, सामान्यतः नहीं करना चाहिए.
कब रुद्राभिषेक करना उत्तम और अनुकूल होता है?-
– रुद्राभिषेक के लिए शिव जी की उपस्थिति देखना अत्यंत आवश्यक है
– बिना शिव जी का निवास देखे कभी भी रुद्राभिषेक न करें
– अन्यथा इसके परिणाम काफी खराब हो सकते हैं
– शिव जी का निवास तभी देखना आवश्यक है , जब मनोकामना की पूर्ति के लिए अभिषेक किया जा रहा हो
कब शिव जी का निवास मंगलकारी होता है?-
– प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया और नवमी , तथा कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा,अष्टमी तथा अमावस्या के दिन शिव जी माँ गौरी के साथ रहते हैं.
– कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और एकादशी को तथा शुक्ल पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि को महादेव , कैलास पर रहते हैं.
– कृष्ण पक्ष की पंचमी और द्वादशी को तथा शुक्ल पक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी तिथि को शिव जी नंदी पर सवार होकर सम्पूर्ण विश्व का भ्रमण करते हैं .
– इन तिथियों में महादेव का निवास मंगलकारी होता है , जिसमे रुद्राभिषेक किया जा सकता है
कब शिव जी का निवास अनिष्टकारी होता है?-
– कृष्णपक्ष की सप्तमी, चतुर्दशी, तथा शुक्लपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी,पूर्णिमा में भगवान शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं.
– कृष्णपक्ष की द्वितीया, नवमी तथा शुक्लपक्ष की तृतीया व दशमी में महादेवजी देवताओं की सभा में उनकी समस्याएं सुनते हैं.
– कृष्णपक्ष की तृतीया, दशमी तथा शुक्लपक्ष की चतुर्थी व एकादशी में नटराज क्रीडारतरहते हैं.
– कृष्णपक्ष की षष्ठी, त्रयोदशी तथा शुक्लपक्ष की सप्तमी व चतुर्दशी में रुद्रदेवभोजन करते हैं.
– इन तिथियों में सकाम अभिषेक नहीं किया जा सकता
कब तिथियों का विचार नहीं किया जाता?-
– शिवरात्री , प्रदोष और सावन के सोमवार को सिद्ध पीठ अथवा ज्योतिर्लिंग के क्षेत्र में शिव के निवास का विचार करने की आवश्यकता नहीं होती.
– यह स्थान और समय सदैव मंगलकारी होता है.