सावन के महीने में भक्तों पर भगवान शिव की असीम कृपा बनी रहती है. खास बात यह है कि इस महीने में आप कुछ साधारण से उपाय करके आप अपनी कुंडली में व्याप्त पापी ग्रहों के अशुभ प्रभाव को शुभ फल में बदल सकते हैं. आइए जानते हैं आखिर कौन से ग्रह होते हैं अशुभ और उनका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है.
वैदिक ज्योतिष में नौ ग्रहों और सताईस नक्षत्रों का अध्ययन किया जाता है. इन सभी ग्रहों में कुछ शुभ ग्रह होते हैं तो कुछ क्रूर और कुछ पाप ग्रह. पाप ग्रहों में शनि, राहु और केतु माने जाते हैं. ये जीवन को पाप कर्म या पाप भावना की तरफ प्रेरित करने की क्षमता रखते हैं. इन ग्रहों का प्रभाव इतना तेज होता है कि इनके बुरे प्रभाव में आकर बिना इच्छा के भी व्यक्ति पाप कर्मों की और चला जाता है.
शनि का पाप प्रभाव क्या होता है और सावन में कैसे पाएं शुभ परिणाम-
– शनि का दुष्प्रभाव होने से व्यक्ति आलसी, लापरवाह और कठोर होता है.
– व्यक्ति तामसिक देवताओं की उपासना करता है.
– बिना साफ़ सफाई के निम्न कार्यों की तरफ जाता है.
– शनि जब शुभ परिणाम देता है तो व्यक्ति अनुशासित होता है.
– ध्यान और धर्म के माध्यम से ईश्वर की तरफ चलता है.
श्रावण मास में पाएं शनि की शुभता-
– शनि के शुभ प्रभाव को बढ़ाने के लिए शनिवार के दिन पीपल के छोटे-छोटे दो पौधे किसी स्थान पर लगाएं और हनुमान जी की पूजा करें.
राहु का पाप प्रभाव क्या है सावन में कैसे देगा शुभ परिणाम-
– अशुभ राहु चरित्र पतन और नशे की तरफ ले जाता है.
– राहु व्यक्ति को षड़यंत्र और दूसरों को परेशान करने की आदत देता है.
– राहु के कारण व्यक्ति धर्म और आध्यात्म की आलोचना करता है.
– राहु का शुभ प्रभाव हो तो व्यक्ति जन्म से ही सिद्ध होता है.
– ऐसी दशा में व्यक्ति आध्यात्म का नया मार्ग खोज लेता है.
श्रावण मास में पाएं राहु की शुभता-
– राहु का शुभ प्रभाव बढाने के लिए सात्विक आहार ग्रहण करें.
– शिव जी की उपासना करें.
– रोगियों और विकलांगों की सेवा करें.
– योग और ध्यान का अभ्यास अवश्य ही करें.
केतु का पाप प्रभाव क्या है और सावन में कैसे देगा शुभ परिणाम-
– केतु का अशुभ प्रभाव होने से व्यक्ति धर्म और ईश्वर का विरोधी हो जाता है.
– जीवन की हर समस्या के लिए भगवान को जिम्मेदार ठहराता है.
– कभी कभी उलटे सीधे तांत्रिक प्रयोग करके मानसिक रूप से असंतुलित हो जाता है.
– केतु अगर पुण्य की और ले जाय तो तीर्थयात्राएं करवाता है.
– व्यक्ति को सद्गुरु देता है, संत बनाता है.