सत्रहवीं लोकसभा का गठन हो चुका हैं। सांसदो का शपथ ग्रहण हो चुका है। इस बार लोकसभा का नजारा कुछ बदला बदला नजर आ रहा है। वर्षों से लोकसभा के सदस्य बनते आ रहे कई वरिष्ठ सदस्य इस बार नजर नहीं आ रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री व कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके एच डी देवेगौड़ा इस बार लोकसभा में नहीं दिखेंगे। वो तुमकुरू से लोकसभा चुनाव हार गए हैं। देवेगौड़ा 6 बार लोकसभा, एक बार राज्यसभा और 7 वार कर्नाटक में विधायक रह चुके हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता व देश के उप प्रधानमंत्री रहे लालकृष्ण आडवाणी इस बार लोकसभा में नजर नहीं आएंगे, क्योंकि उन्होंने इस बार चुनाव नहीं लड़ा है। आडवाणी कई बार जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं तथा 4 बार राज्यसभा में 8 बार लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। सोलवीं लोक सभा के अध्यक्ष रही सुमित्रा महाजन भी इस इस बार इंदौर से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा। वह लगातार आठ बार लोकसभा सदस्य रह चुकी है। महाजन केंद्र सरकार में मंत्री भी रही थी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्र सरकार में मंत्री रहे डॉ मुरली मनोहर जोशी भी इस बार लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। जोशी अल्मोड़ा, इलाहाबाद, वाराणसी और कानपुर से लोकसभा में कुल 6 बार सदस्य रह चुके हैं।
सोलहवीं लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता रहे मलिकार्जुन खड़गे भी बीदर से चुनाव हार गए हैं, इसलिए लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। दो बार लोकसभा सदस्य व नो बार कर्नाटक से विधायक रह चुके खड़गे केन्द्र व कर्नाटका सरकार में कई बार मंत्री भी रहे हैं। पिछली मोदी सरकार में विदेश मंत्री रही सुषमा स्वराज भी संसद में नजर नहीं आएंगी। इस बार उन्होंने स्वास्थ्य कारणो से विदिशा से चुनाव नहीं लड़ा था। सुषमा स्वराज 7 बार लोकसभा पांच बार राज्यसभा की सदस्य रह चुकी है। वो दो बार हरियाणा सरकार में मंत्री व दिल्ली की मुख्यमंत्री तथा राज्यसभा में विपक्ष की नेता भी रही है। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती में इस बार संसद में नजर नहीं आएगी। उन्होने झांसी से इस बार चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। उमा भारती 6 बार लोकसभा की सदस्य व केंद्र सरकार में कई विभागों की मंत्री तथा मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश से विधायक भी रही है।
पिछली लोकसभा में उपाध्यक्ष रहे एम थंबीदुरई भी इस बार करूर से लोकसभा चुनाव हार जाने के कारण नजर नहीं आएंगे। वो दो बार लोकसभा के उपाध्यक्ष व पांच बार लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। थंबीदुरई कई बार तमिलनाडु विधान सभा के सदस्य व केंद्र तथा तमिलनाडु सरकार में कई सालों तक कई विभागों के कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। मोदी की पिछली सरकार में शिवसेना कोटे से भारी उद्योग मंत्री रहे अनंत गीते भी रायगढ़ से चुनाव हार जाने के कारण इस बार नजर नहीं आएंगे अनंत गीते 6 बार लोकसभा सदस्य रहे हैं। उत्तराखंड के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भुवन चंद खंडूरी भी इस बार लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। उन्होने लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा। वो पांच बार लोकसभा के सदस्य व केन्द्र सरकार में में वरिष्ठ मंत्री में रहे हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे भगत सिंह कोश्यारी भी लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। वो पिछली लोकसभा के सदस्य थे।
झारखंड में वरिष्ठ आदिवासी नेता गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध शिबू सोरेन भी इस बार लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। वो दुमका से चुनाव हार गये है। शिबू सोरेन 8 बार लोकसभा, एक बार राज्यसभा के सदस्य रहे व तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं। वो केन्द्र सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गुना से चुनाव हार जाने के कारण इस बार लोकसभा में नजर नहीं आएंगे वह चार बार लोकसभा के सदस्य तथा मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहे हैं। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ति भी अनंतनाग सीट से चुनाव हार जाने के कारण लोकसभा में नजर नहीं आएगी। हिमाचल प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे शांताकुमार भी चुनाव लडऩे के कारण इस बार संसद में नजर नहीं आएंगे शांता कुमार चार बार लोकसभा, एक बार राज्यसभा के सदस्य रहे हैं।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे कांग्रेसी नेता वीरप्पा मोइली भी चिकबल्लापुर सीट से चुनाव हार जाने का संसद में नजर नहीं आएंगे। वो लोकसभा व विधानसभा में कई बार सदस्य तथा केंद्र व राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं। माकपा के फायर ब्रांड नेता और पश्चिम बंगाल में रायगंज से सांसद रहे मोहम्मद सलीम भी चुनाव हार जाने के कारण इस बार नजर नहीं आएंगे। सोलहवीं लोक सभा में पप्पू यादव मधेपुरा से व रंजीता रंजन सुपौल से सांसद थे। लेकिन इस बार दोनों पति-पत्नीचुनाव हार गए इसलिए लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी गुरूदासपुर से चुनाव हार गए इस कारण लोकसभा में नजर नहीं आएंगे।
असम भाजपा की वरिष्ठ नेता विजय चक्रवर्ती इस बार चुनाव नहीं लड़ी। वो तीन बार लोकसभा एवं एक बार राज्यसभा सदस्य व केंद्र सरकार में मंत्री रह चुकी है। असम के नौगांव से लगातार चार बार सांसद व मोदी सरकार में रेल राज्य मंत्री रहे राजन गोहेन संसद में नजर नहीं आएंगे। उन पर किसी महिला ने आरोप लगाये थे जिसके चलते पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। संत कबीर नगर से पिछली लोकसभा में सांसद शरद त्रिपाठी ने अपनी ही पार्टी कि विधायक को जूता मार कर चर्चा में आए थे। उसके बाद उनका टिकट काट दिया गया। सिकंदराबाद से चार बार सांसद केंद्र सरकार में मंत्री रहे बंडारू दत्तात्रेय भी संसद में नजर नहीं आएंगे। इस बार भाजपा ने उनका टिकट काट दिया था। झारखंड के आदिवासी नेता 8 बार लोकसभा के सदस्य लोकसभा के उपाध्यक्ष, केंद्र व राज्य सरकार में मंत्री रहे करिया मुंडा को भी इस बार चुनाव में नहीं उतारा गया इसलिये वो लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। करिया मुंडा 1977 में जनता पार्टी की मोरारजी देसाई सरकार में भी राज्य मंत्री रह चुके हैं। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व नांदेड के कई बार सांसद रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण नांदेड़ से लोकसभा चुनाव हार जाने से नजर नहीं आयेगें।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पुत्री कविता निजामाबाद से चुनाव हार जाने के कारण लोकसभा में नजर नहीं आएगी। मोदी सरकार में गृह राज्य मंत्री व महाराष्ट्र के चंद्रपुर से चार बार सांसद रहे हंसराज अहीर के इस बार चुनाव हार जाने के कारण लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव भी कन्नौज सेचुनाव हार गई है, इसलिए लोकसभा में नजर नहीं आएगी।
बिहार के बड़बोले नेता और भाजपा छोडक़र पटना साहिब से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ कर हार चुके शत्रुघ्न सिन्हा लोकसभा में नजर नहीं आयेगें। सिन्हा लोकसभा लोकसभा राज्यसभा के सदस्य कई बार सदस्य व केंद्र सरकार में मंत्री रहे हैं। भाजपा से कई बार सांसद रहे कीर्ति आजाद भी धनबाद से चुनाव हार जाने के कारण लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। मोदी की पिछली सरकार में मंत्री रहे नागौर के सांसद सीआर चौधरी व 4 बार सांसद,विधायक रहे कर्नल सोनाराम चौधरी को भाजपा ने इस बार बाड़मेर से टिकट नहीं दिया इसलिये वे भी लोकसभा में नजर आएंगे।
देवरिया से सांसद व केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे कलराज मिश्र इस बार चुनाव नहीं लड़े इसलिए वह भी लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष असम के सिल्चर से सांसद रहीं सुष्मिता देवा चुनाव हार जाने से लोकसभा में नजर नहीं आएगी। कई बार सांसद रहे अकाली दल के प्रेम सिंह चंदूमाजरा के इस बार आंदपुर साहिब सीट से चुनाव हार जाने के कारण वो भी लोकसभा में नजर नहीं आएंगें। चौधरी देवीलाल के प्रपोत्र दुष्यंत चौटाला के हिसार से चुनाव हार जाने के कारण देवीलाल परिवार का कोई भी सदस्य इस बार संसद में नजर नहीं आएगा।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस बार लोकसभा में काफी संख्या में नये सदस्य पहलीबार चुनकर आये हैं जो आगे चलकर देश को नेतृत्व प्रदान करेगें।
(लेखक- रमेश सर्राफ धमोरा )