एक ताजा सर्वे में हुआ खुलासा
नई दिल्ली । दुनिया की मधुमेह (डायबिटीज) की राजधानी भारत को कहा जाता है। बावजूद इसके ब्लड शुगर लेवल और डायबिटीज को लेकर भारतीयों में कम जागरुकता है। वे इस बात को लेकर जागरूक नहीं हैं कि गिरते-बढ़ते शुगर लेवल को कंट्रोल करने की कितनी सख्त जरूरत है। तीन महीने के अंतराल में ब्लड शुगर का स्तर निर्धारित करने के लिए एक टेस्ट किया जाता है जिसका नाम है एचबीए1सी और पिछले महीने यानी मई में इसका स्तर 8.5 फीसदी था। जबकि 6 फीसदी एचबीए1सी के स्तर को उन लोगों में सामान्य ब्लड शुगर माना जाता है, जिन्हें डायबिटीज नहीं है। यह बात एक नैशनल सर्वे में बतायी गयी है। लेकिन शहरी स्तर पर स्थिति और भी चिंताजनक है। खासकर मुंबई से कोलकाता और दिल्ली से चेन्नै के बीच। देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले मुंबई शहर में लोग स्ट्रेस और नींद पूरी न होने से परेशान हैं और अक्सर इसकी शिकायत करते हैं। वहां जब एचबीए1सी टेस्ट किया गया तो उसमें 8.2 फीसदी रीडिंग नोट की गई, जबकि दिल्ली में औसत रीडिंग 8.8 फीसदी मापी गई। यह सर्वे नोवो नॉर्डिस्क एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा एक वर्ष के लंबे अध्ययन का हिस्सा है। एक साल की अवधि के दौरान, चेन्नै जैसे शहरों में डायबिटीज के लिए एचबीए1सी का स्तर 8.4 फीसदी से 8.2 फीसदी गिरा। वहीं कोलकाता में इस स्तर में 8.4 फीसदी से 8.1 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई। जबकि गुड़गांव में डायबिटीज के लिए एचबीए1सी का स्तर 8.6 फीसदी से 8.5 फीसदी तक गिर गया। खंडवा जैसे छोटे शहरों में जून 2018 में 9 फीसदी और मई 2019 में 8.2 फीसदी स्तर दर्ज किया गया। सर्वे में 28 शहरों में 1.8 रोगियों की ब्लड शुगर रीडिंग को परखा गया। डायबिटीज में मरीज के शरीर में ब्लड शुगर को प्रोसेस करने की क्षमता कम हो जाती है, मेटाबॉलिज्म कमजोर हो जाता है। वक्त के साथ डायबिटीज किडनी, आंखें, नर्वस सिस्टम और अन्य मुख्य अंगों को बुरी तरह प्रभावित करती है।