बाबा भोलेनाथ के दर्शनों के लिए पवित्र अमरनाथ यात्रा शुरु हो गयी है। इस वर्ष करीब डेढ़ लाख से भी ज्यादा लोगों ने अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। 26 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा के पहले जत्थे में 2000 से भी ज्यादा यात्रियों को बाबा के दर्शनों के लिए भेजा गया है। श्रद्धालुओं को अनंतनाग जिले के 36 किलोमीटर लंबे पारंपरिक पहलगाम मार्ग और गांदेरबल जिल के 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से अमरनाथ दर्शन के लिए भेजा जा रहा है। अब तक देश भर से करीब डेढ़ लाख श्रद्धालुओं ने 46 दिन चलने वाली इस यात्रा के लिए पंजीकरण कराया है।
सूत्रों के मुताबिक बालटाल मार्ग से गुरजने वाले पहले जत्थे में करीब 1051 श्रद्धालु शामिल हैं। इनमें 793 पुरुष, 203 महिलाएं, 10 बच्चे और करीब 45 साधु-संत शामिल हैं। तीर्थयात्रियों की सुविधा और यात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। वहीं, दूसरी ओर पहलगाम मार्ग से होकर अमरनाथ धाम पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या 1183 बताई जा रही है। यात्रियों की सूची में 1046 पुरुष, 130 महिलाएं और करीब 7 बच्चे शामिल हैं। इस मार्ग से गुजरने वाले जत्थे में साधु संत शामिल नहीं है। बता दें कि श्रद्धालु 15 अगस्त तक बाबा अमरनाथ के दर्शन कर सकेंगे।
ठोस बर्फ का बना होता है शिवलिंग
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने अमरनाथ गुफा में मां पार्वती को अमर कथा सुनाई थी। इस गुफा में एक हैरान करने वाली बात यह है कि गुफा में शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है जबकि नीचे फैला बर्फ कच्चा होता है। कहते हैं यहां पर भगवान शिव साक्षात विराजते हैं। साथ ही यहां पर देवी का एक शक्तिपीठ भी है। 51 शक्तिपीठों में से महामाया शक्तिपीठ इसी गुफा में स्थित है क्योंकि यहां देवी सती का कंठ गिरा था।
शक्तिपीठ भी होना एक दुर्लभ संयोग
अमरनाथ में भगवान शिव के अद्भुत हिमलिंग दर्शन के साथ ही माता सती का शक्तिपीठ होना एक दुर्लभ संयोग है। ऐसा संयोग कहीं और देखने को नहीं मिलता। इस गुफा में केवल शिवलिंग ही नहीं बल्कि माता पार्वती और गणेश के रूप में दो अन्य हिम लिंग भी बनते हैं। माना जाता है कि इस दर्शन के पुण्य से मनुष्य मुक्ति का अधिकारी बन जाता है।
अमरनाथ यात्रा का मार्ग
अमरनाथ यात्रा जाने के लिए दो रास्ते हैं। पहला पहलगाम और दूसरा बालटाल होकर जा सकते हैं। पहलगाम या बालटाल तक बस से पहुंचा जाता है। आगे के रास्तों पर श्रद्धालुओं को पैदल चलना पड़ता है। पहलगाम से होकर जाने वाला रास्ता थोड़ा सरल है इसलिए लोग इसी रास्ते से जाना पसंद करते हैं।