डायबिटीज (मधुमेह) महामारी का रूप धारण करता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 7.2 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं और यह तादाद 2025 तक दोगुना हो जाने की आशंका है। ऐसे में जरूरी है कि डायबिटीज की बिमारी का समय पूर्व पता चल जाए। इसके लिए एक स्मार्ट मशीन तैयार की गई है।
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार, हर साल दुनिया में करीब 70 लाख लोग डायबिटीज की चपेट में आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जीवनशैली जिसमें शारीरिक श्रम न के बराबर होता है, अनियमित कामकाज और तनाव इस बीमारी के प्रमुख कारण हैं। कई मामलों में मधुमेह का का कारण पारिवारिक इतिहास भी है। खानपान की खराब आदतें और व्यायाम की कमी भी मधुमेह के अहम कारणों में शामिल हैं।
पूरे शरीर पर असर
डायबिटीज एक जटिल स्वास्थ्य समस्या है, जो पूरे शरीर को प्रभावित करता है। आमतौर पर उम्र के छठे और सातवें दशक में पहुंच चुके लोगों को डायबिटीज का खतरा ज्यादा रहता है। हालांकि आजकल डायबिटीज के मामले बच्चों और युवाओं में भी काफी देखने को मिल रहे हैं। डायबिटीज से पीड़ित लोग शरीर में रक्त शर्करा (ब्लड ग्लूकोज या ब्लड शुगर) के सही स्तर को बनाए रख पाने में असमर्थ होते हैं। हम जो कुछ भी खाते हैं, उससे शर्करा का निर्माण होता है। यह शरीर की ऊर्जा का मुख्य स्रोत होता है। इंसुलिन एक हार्मोन है, जिसका निर्माण अग्नाशय (पैंक्रियाज) द्वारा हाता है। यह भोजन की शर्करा को ऊर्जा में रूपांतरित करता है, जो दैनिक कार्यों के लिए हमारे शरीर को चाहिए होती है। जब हमारा शरीर इंसुलिन का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं कर पाता, तो रक्त में मौजूद शर्करा ऊर्जा में रूपांतरित नहीं हो पाती और शरीर की कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाती। इसकी बजाय वह रक्त में ही रह जाती है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं।
शुरुआत में जानकारी देगी ये प्रणाली
रक्त में शर्करा का उच्च स्तर गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। अनियंत्रित ब्लड शुगर रक्त वाहिकाओं को गंभीर क्षति पहुंचा सकता है और घातक बीमारियों का कारण बन सकता है। डायबिटीज के नियंत्रण और प्रबंधन के लिए सबसे अहम है कि इसका पता समस्या शुरू होने से पहले या फिर शुरुआती चरण में ही लग जाए। अब एक सुरक्षित और आसान नैदानिक जांच प्रणाली (क्लिनिकल टेस्टिंग सिस्टम) आई है, जो डायबिटीज का पता सटीकता के साथ शुरुआती चरण में ही लगा सकती है। यह इस प्रकार से डिजाइन की गयी है कि एक छोटे-से सैंपल से 9 बायोमार्कर की एक साथ त्वरित और आसान निगरानी करने में सक्षम है। यह मल्टी-टेस्ट रीएजेंट डिस्क का मेल है, जो डायबिटीज पैनल, रेनल पैनल, लिवर पैनल, कार्डियोवेस्कुलर पैनल, कॉ्प्रिरहेंसिव मेटाबोलिज्म पैनल और एल्बुमिन/क्रिएटिनिन रेशियो (एसीआर) यूरिन टेस्ट सहित 10 मार्कर की जांच एक ही समय में कर सकती है।
थोड़े रक्त की जरूरत
इससे जांच के लिए बहुत कम मात्रा में खून की जरूरत होती है। इसमें खून के नमूने का तेजी से विश्लेषण करने की क्षमता है। इसका इस्तेमाल बहुत आसान है।अब शुरुआत में ही चलेगा मधुमेह का पता
डायबिटीज (मधुमेह) महामारी का रूप धारण करता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 7.2 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं और यह तादाद 2025 तक दोगुना हो जाने की आशंका है। ऐसे में जरूरी है कि डायबिटीज की बिमारी का समय पूर्व पता चल जाए। इसके लिए एक स्मार्ट मशीन तैयार की गई है।
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार, हर साल दुनिया में करीब 70 लाख लोग डायबिटीज की चपेट में आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जीवनशैली जिसमें शारीरिक श्रम न के बराबर होता है, अनियमित कामकाज और तनाव इस बीमारी के प्रमुख कारण हैं। कई मामलों में मधुमेह का का कारण पारिवारिक इतिहास भी है। खानपान की खराब आदतें और व्यायाम की कमी भी मधुमेह के अहम कारणों में शामिल हैं।
पूरे शरीर पर असर
डायबिटीज एक जटिल स्वास्थ्य समस्या है, जो पूरे शरीर को प्रभावित करता है। आमतौर पर उम्र के छठे और सातवें दशक में पहुंच चुके लोगों को डायबिटीज का खतरा ज्यादा रहता है। हालांकि आजकल डायबिटीज के मामले बच्चों और युवाओं में भी काफी देखने को मिल रहे हैं। डायबिटीज से पीड़ित लोग शरीर में रक्त शर्करा (ब्लड ग्लूकोज या ब्लड शुगर) के सही स्तर को बनाए रख पाने में असमर्थ होते हैं। हम जो कुछ भी खाते हैं, उससे शर्करा का निर्माण होता है। यह शरीर की ऊर्जा का मुख्य स्रोत होता है। इंसुलिन एक हार्मोन है, जिसका निर्माण अग्नाशय (पैंक्रियाज) द्वारा हाता है। यह भोजन की शर्करा को ऊर्जा में रूपांतरित करता है, जो दैनिक कार्यों के लिए हमारे शरीर को चाहिए होती है। जब हमारा शरीर इंसुलिन का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं कर पाता, तो रक्त में मौजूद शर्करा ऊर्जा में रूपांतरित नहीं हो पाती और शरीर की कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाती। इसकी बजाय वह रक्त में ही रह जाती है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं।
शुरुआत में जानकारी देगी ये प्रणाली
रक्त में शर्करा का उच्च स्तर गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। अनियंत्रित ब्लड शुगर रक्त वाहिकाओं को गंभीर क्षति पहुंचा सकता है और घातक बीमारियों का कारण बन सकता है। डायबिटीज के नियंत्रण और प्रबंधन के लिए सबसे अहम है कि इसका पता समस्या शुरू होने से पहले या फिर शुरुआती चरण में ही लग जाए। अब एक सुरक्षित और आसान नैदानिक जांच प्रणाली (क्लिनिकल टेस्टिंग सिस्टम) आई है, जो डायबिटीज का पता सटीकता के साथ शुरुआती चरण में ही लगा सकती है। यह इस प्रकार से डिजाइन की गयी है कि एक छोटे-से सैंपल से 9 बायोमार्कर की एक साथ त्वरित और आसान निगरानी करने में सक्षम है। यह मल्टी-टेस्ट रीएजेंट डिस्क का मेल है, जो डायबिटीज पैनल, रेनल पैनल, लिवर पैनल, कार्डियोवेस्कुलर पैनल, कॉ्प्रिरहेंसिव मेटाबोलिज्म पैनल और एल्बुमिन/क्रिएटिनिन रेशियो (एसीआर) यूरिन टेस्ट सहित 10 मार्कर की जांच एक ही समय में कर सकती है।
थोड़े रक्त की जरूरत
इससे जांच के लिए बहुत कम मात्रा में खून की जरूरत होती है। इसमें खून के नमूने का तेजी से विश्लेषण करने की क्षमता है। इसका इस्तेमाल बहुत आसान है।