शहर में आवारा मवेशियों की तादात बढ़ी
अशोकनगर । शहर हो या गांव सभी जगह गौवंश की दुर्दशा हो रही है। ऐसा कोई दिन नहीं बीतता जिस दिन गौवंश सडक़ दुर्घटना का शिकार न हो। दो वक्त के दाना पानी के बदले दूध देने और मरने के बाद शरीद के चमढ़े से कई लोगों का रोजगार चलाने वाली गाय सडक़ पर मारी-मारी इसलिये फिर रही है क्योंकि उनके रहने खाने के इंतजाम इंसान ने छीन लिये हैं। गाय सडक़ पर आ गई। अशोकनगर वायपास रोड़, गुना रोड़, ईसागढ़ रोड़ पर कई गाय दुर्घटना में घायल हो रही है। गायों को तड़पते देख नगर के सामाजिक कार्यकर्ता और गौसेवक उपचार के लिये मौके पर पहुंचते हैं और उपचार करने के बाद उन्हे छोड़ दिया जाता है और गाये घण्टो तक तड़पती रहती हैं।
बेजुबान का हो रहा अन्याय:
भूख, प्यास से बिलखते ये बेजुवान अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ बोल भी नहीं पाती। सडक़ पर आवारा घूम रही भूख की मारी, जर्जर ढांचे को और इनके आखों निकलते आंसू की वजह है कि कितनी तखलीफ में गुजरता है इनका हर पल हर दिन। एक दिन कैसे भी गुजर जाये, लेकिन अगले दिन भूख से या सडक़ दुर्घटना से बच पायगी इसकी कोई गारंटी नहीं। घर या गौशाला में कोई ठिकाना नहीं रहा। सडक़ पर कुछ देर के लिए ठोर मिलता है। लेकिन सडक़ दुर्घटना में कब हमेशा के लिये बैठ जाये या जान चली जाये। इस बात का डर हर पल बना रहता है। गौवंश के हित की बात तो सभी करते हैं लेकिन इनकी दुर्दशा देखकर भी अनदेखी कर रहे हैं। यही वजह है कि गौवंश तिलतिलाकर जीते और तड़प-तड़प कर मर रहे हैं।
हर दिन हो रहे हादसे:
गौवंश सबसे ज्यादा बारिश के मौसम में सडक़ हादसे का शिकार होते हैं कोई दिन ऐसा नहीं गुजरता जब दुर्घटना न हो या उनकी जान चली जाये। नगर में गाय के इलाज की व्यवस्था भी सीमित है ऐसे में जान बचाना बहुत मुश्किल होता है। नगर के प्रमुख चौक चौराहों पर बैठने वाले आवारा मवेशियों की संख्या अब लगातार बढ़ती जा रही है। वोवनी होते ही किसानों ने अपनी फसल को बचाने के लिये अंचलों में घूम रहे आवारा मवेशियों को इक_ा कर शहर में लाकर छोड़ दिया। इन दिनों नगर के चौक चौराहों पर मवेशियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। फसलों को बचाने की चिंता भी किसान की लाजमी है। क्योंकि शहर सहित अंचलों में घूमने से ही दूर-दूर तक गौशालायें नजर नहीं आ रही हैं। कांग्रेस वचन पत्र में हर पंचायत में गौशाला बनाने की बात कह रही है लेकिन हकीकत में अभी एक भी गौशाला नहीं बनी है। शहर में आवारा पशु लोगों के लिये परेशानी का सबब बन रहे हैं। शासन द्वारा गौ के लिये चरनोई भूमि के नाम से निश्चित की गई थी। लेकिन इन भूमियों पर दबंगो द्वारा कब्जे कर लिये हैं। जिससे इनके खाने पीने की कोई व्यवस्था न होने के कारण शहर की ओर रुख करते जा रही हैं।