सड़क धंसी, रोड रोलर फंसा…
इंदिरा नगर की सेक्टर-14 पानी की टंकी के पास आज एक रोड रोलर, सड़क धंसने से फंस गया और यहाँ बड़ा हादसा होने से टल गया I
बताते चले कि मात्र 04 माह में यहाँ सड़क धंसने की यह तीसरी घटना है, बताया जा रहा है कि मई 2019 में यहाँ 11 केवीए की भूमिगत केबल विद्युत् विभाग द्वारा बिछवाई गयी थी, लेकिन इसकी सुचना जलकल विभाग को नहीं दी गयी थी, भूमिगत केबल बिछाने का कार्य एचडीडी मशीन द्वारा पिट्स खोदकर किया गया था I
जैसा की विदित है कि एचडीडी मशीन द्वारा भूमिगत कार्य पूर्णतया पूर्व में उपलब्ध जानकारियों पर ही निर्धारित होता है, इसलिए कार्य शुरू करने से पूर्व वहां पूर्व में बिछाई गयी टेलीकॉम केबल, पेयजल लाइन, सीवर लाइन, भूमिगत विद्युत् केबल को सुरक्षित रखने के लिए सम्बंधित विभागों को सूचित कर जानकारी लेना आवश्यक होता है, लेकिन कार्य करवाने वाले विभाग इसको पूर्णतया नजर अंदाज कर देते हैं, जिससे कार्य के दौरान या बाद में उस कार्य के दौरान भूमिगत टेलीकॉम केबल, भूमिगत विद्युत् केबल, पेय जल लाइन या सीवर लाइन के क्षतिग्रस्त होने की समस्या आये दिन सामने आती हैं, इसी समस्या का जीता जागता सबूत है इस सड़क का मात्र 04 माह में 03 बार धंसना I
मई माह में विद्युत् केबल बिछाने के बाद सवर्प्रथम यहाँ लिरिक्स अकादमी के सामने माह जुलाई में सड़क का एक बड़ा हिस्सा धंस गया था, हालांकि तब भी कोई बड़ी दुर्घटना टल गयी थी, तब पीडब्लूडी विभाग द्वारा सडक खोदने पर इस सड़क के धंसने का कारण नाले से पानी का रिसाव होना बताया था और पीडब्लूडी विभाग द्वारा नाले की मरम्मत कर सड़क का निर्माण कर यहाँ यातायात बहाल कर दिया गया था, लेकिन कुछ दिन बाद ही एक बार फिर यहाँ सड़क धंस गयी, और दूसरी बार एक ही जगह सड़क धंसने पर यहाँ पेयजल लाइन का क्षतिग्रस्त होना पाया गया था, जल कल द्वारा मरम्मत के दौरान यहाँ बिछी 9″ व्यास की पेयजल लाइन में एचडीडी मशीन द्वारा भूमिगत विद्युत् केबल बिछाते समय छेद होना पाया गया था, और वहां लगातार रिसाव के कारण सड़क धंस गयी थी I
अब तीसरी बार देखना है कि आखिर आज फिर सड़क क्यों धंसी, पीडब्लूडी विभाग के अधिकारियों को सुचना दे दी गयी है और उनके अनुसार टीम घटना स्थल के लिए रवाना कर दी गयी है, खुदाई के पश्चात ही सड़क के तीसरी बार धंसने का राजफाश होगा I
बार बार सड़क धंसने से हो रही सड़कें बर्बाद और मोटी रकम खर्च हो रही इनकी मरम्मत पर ?
विजय गुप्ता की एक रिपोर्ट I