भोपाल । प्रदेश में घर-घर शराब पहुंचाने के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अफसरों को जमकर लताड़ लगाई है। आबकारी विभाग के अफसरों ने नई आबकारी नीति के पार्ट-2 में ऑनलाइन घर पहुंच रेस्टोरेंट सर्विस से शराब की डिलीवरी कराने का प्रस्ताव दिया था। यह वैसा ही था, जैसे ऑनलाइन बुकिंग पर बाइक से खाना पहुंचाया जाता है। आबकारी विभाग का तर्क था कि इससे शराब की खपत बढ़ेगी। साथ ही ठेकेदारों को जाने वाला मुनाफा और दुकान लाइसेंस जैसी दिक्कतें कम होंगी। इस सर्विस में कोई भी व्यक्ति घर, ऑफिस या अन्य जगह बैठे-बैठे केवल एक फोन कॉल्स से शराब मंगा सकता था, लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे गलत माना। मुख्यमंत्री इस प्रस्ताव पर जमकर नाराज हुए। उन्होंने अफसरों को फटकारा कि इस तरह के बेतुके प्रस्ताव क्यों बनाए जा रहे हैं। इससे उलटे हंगामा मच जाएगा और सरकार की छवि खराब होगी। सीएम का यह कदम इसलिए भी उम्दा है क्योंकि मध्यप्रदेश के सामाजिक व धार्मिक ढांचे के हिसाब से भी शराब की घर-घर डिलीवरी घातक सिद्ध हो सकती थी। इससे अपराध में बढ़ावे का खतरा था। इन कारणों का हवाला देकर मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को तुरंत खारिज कर दिया।
पिछली सरकार बंद कर चुकी है दुकानें
शराब के मामले में पिछली भाजपा सरकार कई दुकानों को बंद कर चुकी है। नर्मदा किनारे शराब की दुकानें बंद की गई थीं। इसके अलावा अहातों पर भी बैन लगाया गया था। हालांकि बाद में अहातों पर सरकार ने ढ़ी दी। अब यदि कांग्रेस सरकार शराब की घर पहुंच डिलीवरी सेवा शुरू करती तो यह राजनीतिक रूप से भी सरकार के लिए नुकसानदायक होता। इस कारण इस प्रस्ताव को ताबड़तोड़ तरीके से खारिज किया गया।