नरेंद्र मोदी जब से देश के प्रधानमंत्री बने हैं उनके द्वारा अचानक लिए जाने वाले फैसले सभी को चौंका देते हैं। अभी हाल ही में उन्होने लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए एक ऐसे नाम का चयन करके सभी को चौंका दिया जिस नाम के बारे में किसी ने शायद कल्पना भी नहीं की थी कि ओम बिड़ला सत्रहवीं लोकसभा के अध्यक्ष बनेंगे। ओम बिड़ला राजस्थान से लोकसभा अध्यक्ष बनने वाले पहले नेता है। हालांकि उससे पहले बलराम जाखड़ भी राजस्थान के सीकर से सांसद बन कर लोकसभा अध्यक्ष बने थे मगर वो मूलत: पंजाब के रहने वाले थे।
राजनीतिक व पत्रकारिता के सभी पंडित मान कर चल रहे थे कि वरिष्ठ सांसद मेनका गांधी, वीरेंद्र कुमार खटीक, एसएस अहलूवालिया, राधा मोहन सिंह जैसे किसी वरिष्ठ नेता के नाम पर लोकसभा अध्यक्ष बनने की मुहर लगेगी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के कोटा लोकसभा क्षेत्र से दूसरी बार सांसद बने ओम बिड़ला को लोकसभा अध्यक्ष बनवा कर सबको चौंका दिया है।
ओम बिड़ला खाटी भाजपायी है। वो भाजपा युवा मोर्चा के कोटा जिला अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे हैं। छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भारतीय जनता पार्टी से जुड़े ओम बिड़ला 2003, 2008 व 2013 में तीन बार राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। 2003 में उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव कोटा दक्षिण सीट से कांग्रेस के बड़े नेता व कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल को 10 हजार 101 वोटो से हराकर जीता था। 2008 में उन्होने दूसरी बार कांग्रेस सरकार में केबीनेट मंत्री रहे रामकिशन वर्मा को 24 हजार 300 वोटो से हरा कर जीता था। 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्होने कांग्रेस के महामंत्री व पूर्व विधायक पंकज मेहता को करीबन 50 हजार वोटो के अंतर से हराया था। बिड़ला 2004 से 2008 तक राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार में राज्यमंत्री के दर्जे के साथ संसदीय सचिव भी रहे थे।
ओम बिड़ला 2014 में कोटा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद व कोटा राजघराने के इज्यराज सिंह को 2 लाख 782 वोटो से हरा कर चुनाव जीता था। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होने कांग्रेस के मौजूदा विधायक व पूर्व सांसद रामनारायण मीणा को 2 लाख 79 हजार 677 वोटो से हरा कर दूसरी बार सांसद बने है। यहां देखने वाली बात यह है कि चाहे विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव हर बार उनकी जीत का अंतर बढ़ता ही गया है जो उनके अपने क्षेत्र में लोकप्रिय होने का गवाह है। बिड़ला साधारण परिवार से आते हैं। राजनीति में वो कभी विवादो में नहीं रहे। उनकी लो प्रोफाईल रहकर काम करने की आदत है। बिड़ला को कृषि व सहकारिता के क्षेत्र में विशेषज्ञ माना जाता है। बिड़ला राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ के अध्यक्ष व भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। अपने पांच साल के सांसद के कार्यकाल में ओम बिड़ला की लोकसभा में 86 प्रतिशत उपस्थिति रही थी। गत पांच साल में उन्होने संसद में 671 सवाल पूछे थे तथा 163 संसदीय चर्चाओं में भाग लिया था।
ओम बिड़ला के सर्वसम्म्ति से लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद अपने धन्यवाद भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि उनका ओम बिड़ला से बहुत पुराना संपर्क है। संगठन के कार्यो से उनका सम्पर्क होता रहता था। गुजरात में भूकंप आया था तो ओम बिड़ला अपने साथियों के साथ गुजरात जाकर अपने स्वयं के संसाधनो से लोगों की बहुत मदद की थी। प्रधानमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड त्रासदी के वक्त भी उन्होंने ओम बिरला को वहां लोगों की सेवा करते देखा था। कोटा में उन्होने जनसहयोग से गरीबों के लिये भोजन की व्यवस्था करने के लिये प्रसादम नामक कार्यक्रम शुरू किया था जो आज भी भूखों को भोजन खिला रहा है। गरीबो के लिये जनसहभागिता से वस्त्र की भी वो व्यवस्था करवाते हैं। उनके द्वारा गरीबो के लिये चलाए जा रहे ऐसे कार्यक्रमो से प्रधानमंत्री बहुत प्रभावित है। उनकी इन्ही बातों को मद्देनजर रखते हुए प्रधानमंत्री ने उनका लोकसभा अध्यक्ष के लिए चयन किया है।
इससे पूर्व भी 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की बात चल रही थी तो उस दौड़ में कई बड़े नेता शामिल थे। उस समय अमित शाह भाजपा के जूनियर महामंत्री थे। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने सबको चौंकाते हुये अमित शाह को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था जिसका नतीजा पूरा देश देख रहा है। अमित शाह के अध्यक्ष रहते भाजपा लगातार जीत पर जीत हासिल करती जा रही है। उन्होने देवेन्द्र फडऩवीश, मनोहर लाल खट्टर, योगी आदित्यनाथ, त्रिवेंद्र सिंह रावत, विप्लव कुमार देव जैसे नये लोगों को मुख्यमंत्री बना कर सबको चौंकाया था। उन्होंने पार्टी संगठन में बरसों से गुमनामी में खोये कई लोगों को भी आगे लाकर राज्यपाल बनाया।
राष्ट्रपति चुनाव के समय किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि रामनाथ कोविंद देश के राष्ट्रपति होंगे लेकिन मोदी ने इस को संभव कर दिखाया। इसी तरह उपराष्ट्रपति पद पर वेंकैया नायडू का चयन किया। उन्होने निर्मला सीतारमण को देश की पहली महिला रक्षा मंत्री बनाया।
मोदी ने अबकी बार बनी नई सरकार में भी निर्मला सीतारमण को देश के वित्त मंत्री बना कर सबको चौंका दिया है। इसके साथ ही साइकिल पर चलने वाले उड़ीसा के बालासोर से चुने गए सांसद प्रताप सिंह सारंगी, असम के रामेश्वर तेली जैसे साधारण लोगों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया है। विदेश सचिव शिवशंकर को विदेश मंत्री बनाकर उन्होने एक मास्टर स्ट्रोक खेला है।
मोदी के प्राय हर फैसले चौकानेवाले होते हैं। मोदी प्रयोग करते रहते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वो रिस्क लेने से नहीं डरते हैं। जिस काम की मन में ठान लेते हैं उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं। मोदी ने अपने पिछले पांच वर्ष के कार्यकाल में कई युवा नेताओं को सरकार व संगठन में जगह देकर पार्टी में नया नेतृत्व उभारा है। उनके द्वारा पहली बार मंत्री बनाये गये युवाओं ने अपने मंत्रालय का काम कुशलतापूर्वक संचालित किया है। जिनमें से कईयों को तरक्की देकर केबीनेट मंत्री बनाया गया है। मोदी के बारे में चुनावो में एक नारा लगता था कि मोदी है तो मुमकिन है। मोदी द्वारा लिये जा रहे फैसलों से यह अक्षरश: सत्य साबित हो रहा है।