भोपाल। राजधानी की सायबर सेल टीम ऐसे शातिर अर्तराप्यीयी गिरोह को दबोचा है जो व्यापारिक फर्म का बैंक खाता हैक कर बैंक की रजिस्टर्ड सिम स्वेप कर लाखो की राशी उडा देते थे। अधिकारियो ने पूरे मामले का खूलासा करते हुए बताया की फरियादी मुकेश कावरे पिता रमाकांत कावरे नि0 गुलमोहर भोपाल ने सायबर पुलिस मे शिकायत की थी, कि उनके फर्म के बैंक खाते में रजिस्टर्ड सिम को शातिराना तरीके से बंद कराने के साथ ही चालाक आरोपियो ने फर्जी तरीके से नई सिम निकालकर उनके फर्म के बैंक खाते को हैक कर करीब 16 लाख 50 हजार निकाल लिये तथा विभिन्न संदिग्ध खातों में उस लाखो की रकम को ट्रांसफर कर दिया। मामले मे शिकायत की शुरुआती जांच के बाद पुलिस ने मामला दर्जकर छानबीन शुरु की। जांच के दोरान हाथ लगे तकनीकी सुरागो के आधार पर टीम ने संभावित ठिकानों पर दविश देकर आरोपियो को दबोच लिया। अधिकारियो ने बताया की अंतर्राज्जीय ठग गिरोह के सदस्य एवं संदिग्ध खाताधारक अनुराग प्रकाश सालवेकर पिता प्रकाश सालवेकर के ईस्ट मुंबई स्थित ठिकाने से गिऱफतार किया गया जिससे प्रारभिक पूछताछ पर पता चला कि ठग गिरोह का अन्य सदस्य विनोद मिश्रा पिता सोभनाथ मिश्रा भी इस ठगी व्यवसाय में शामिल है, वह विनोद मिश्रा के नीचे काम करता है जो ठगी की रकम डालने के लिये फर्जी बैंक खाता गिरोह को उपलब्ध कराता है, बैंक खाते में जितने पैसे आयेगे उसमें से आधी रकम कमीशन के रुप में मिलते है आरोपी के सभी फर्जी पतों पर खोले गये विभिन्न खातों को फ्रीज कराया गया तथा सभी इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को आरोपी के कब्जे से जप्त किया गया है। गिरफतार आरोपी अनुराग प्रकाश सालवेकर की निशादेही पर ठग गिरोह का अन्य सदस्य विनोद मिश्रा को भी पुलिस टीम द्ववारा उसके मुबंई स्थित ठिकाने पर दविश देकर गिऱफतार किया गया जिससे प्रारभिक पूछताछ पर पता चला कि ठग गिरोह का सह संचालक अनिल तुलसीराम जोशी नाम का व्यकित है जिसको फर्जी पतों पर खोले गये विभिन्न खाते उपलब्ध कराये जाते थे, नाइजीरियन हैकर्स द्वारा ट्रोजन की मदद से हैक किये जाते है खाते से इन बैक खातों मे राशि अवैध रुप से स्थानातरित की जाती है। अनिल जोशी वर्तमान में केन्दीय जेल साबरमती (गुजरात राज्य) में के ठगी संबंधी आपराधिक मामले में बंद है, जिससे पुछताछ पर सनसनीखेज खुलासा होने की संभावना है। गिरफ्तार आरोपी विनोद मिश्रा से मामले से संबंधित सभी इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को जप्त किया गया है। चालक आरोपियो की कारगुजारी का खूलासा करते हुए अधिकारियो ने बताया की फरियादी की फर्म का बैंक खाता हैक कर तथा बैंक की रजिस्टर्ड सिम बंद कराकर फर्जी दस्तावेज से नई सिम निकालकर उसका ओटीपी हासिल किया ओर उसके बाद उसके खाते से 16 लाख् 34 हजार की रकम उडा दी। पुछताछ मे सामने आया की शातिर आरोपियो द्वारा नाइजीरियन हैकर्स द्वारा ट्रोजन की मदद से खातो को हैक किया जाता था। इसके बाद उसके मिलते जुलते फेक पेज पर लॉगिन करा लेते और उसपर इंटरनेट बैकिंग करते हुए उसका पासवर्ड ओर पिन चोरी कर लेते थे। शातिर आरोपी ऐसे खातो को अपना टारगेट बनाते थे जिस फर्क के खातो से लाखो की रकम का लेनदेन होता था। इसके बाद आरोपी फर्जी नाम/पतो वाले बैंक खातों में रकम को ट्रांस्फर कर देते थे। अधिकारियो ने आगे बताया की चालाक हैकर टारगेट किये जाने वाले खाते की लगातार निगरानी रखते हुये उसके बैलेंस की भी पूरी जानकारी रखते थे। वही फर्जीवाडे मे सायबर सेल को जांच के दोरान बीएसएनएल विभाग के अधिकारियों की सिम आंबटन में गडबडी की बात भी सामने आई है। अधिकारियो ने खूलासा करते हुए बताया की चालाक ठग तीन स्टैप में ठगी की वारदातो को अंजाम देते थ। इसमे पहली स्टेप मे ठग हैकर्स द्वारा फिशिंग, ट्रोजेन मेल के द्वारा आवेदक के बैंक खाते के लॉगिन, आईडी पॉसवर्ड आदि जानकारी की चोरी करते थे, यह कार्य नाइजीरियन हैकर्स द्वारा किया जाता है। इसके बाद दुसरी स्टेप मे आवेदक के हैक्ड बैक खाते की गोपनीय जानकारी भारत के एजेन्ट को दी जाती, जिससे ट्राजेक्शन के ओटीपी हेतु बैक खाते पर रजिस्टर्ड सिम को फर्जी दस्तावेज के आधार पर जारी कराई जा सके। इसके बाद गिरोह द्वारा भारतीय एजेंट टीम द्वारा आवेदक के हैक्ड बैक खाते की जानकारी के आधार पर रजिस्टर्ड सिम को फर्जी दस्तावेज के आधार पर सबधित टीएसपी कंपनी से कराई जाती है।