वाशिंगटन । मंगल ग्रह की यात्रा पर गए नासा के क्यूरोसिटी मार्स रोवर ने लाल ग्रह पर मीथेन गैस की अब तक की सबसे बड़ी मात्रा का पता लगाने में सफलता हासिल की है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने एक बयान में बताया रोवर ने मंगल ग्रह से एक नमूना लिया और लेजर स्पेक्ट्रोमीटर की मदद से इसकी जांच करके यह जानकारी एकत्र की। मीथेन की इतनी बड़ी मात्रा हर्ष का विषय हो सकता है क्योंकि धरती पर सूक्ष्म जीवाणुओं के जीवन के लिए मीथेन एक जरूरी गैस है। यह भी हो सकता है कि चट्टनों ओर पानी के क्रिया करने से इस गैस का निर्माण हुआ हो।
इस रोवर पर ऐसी मशीन नहीं लगी है जो पक्के तौर पर यह बता सके कि मीथेन का स्रोत क्या है। यह रोवर अपने इस मिशन में पहले भी मीथेन गैस की मौजूदगी का पता लगा चुका है। गौरतलब है कि इससे पहले नासा की हबल अंतरिक्ष दूरबीन ने अब तक का सबसे सुदूरवर्ती तारा खोजा था। ब्रह्मांड के बीच में स्थित नीले रंग के इस विशाल तारे का नाम इकारस था। यह तारा इतना दूर है कि इसकी रोशनी को पृथ्वी तक पहुंचने में नौ अरब साल लग गए। दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन से भी यह तारा बहुत धुंधला दिखाई देगा। हालांकि ग्रेवीटेशनल लेन्सिंग नाम की प्रक्रिया होती है, जो तारों की धुंधली चमक को तेज कर देती है, जिससे खगोलविज्ञानी दूर के तारे को भी देख सकते हैं।
बर्केले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया मेंइस शोध का नेतृत्व करने वाले पैट्रिक केली ने कहा यह पहली बार है जब हमने एक विशाल और अपनी तरह का अकेला तारा देखा है। केली ने कहा था कि आप वहां पर कई आकाशगंगाओं को देख सकते हैं, लेकिन यह तारा उस तारे से कम से कम 100 गुना दूर स्थित है, जिसका हम अध्ययन कर सकते हैं।