सत्ता की तमन्ना और लूट का लालच भारत में लगभग सभी सियासी दलों में देखा जाता रहा है। नतीजे में 40 फीसद सांसद महोदय व माननीय विधायकगण लूट करते व कराते उनके आंकड़े बढ़ गये हैं जिन पर न कोई चुनाव आयोग या सर्वोच्च न्यायालयों या उच्च न्यायालयों का अंकुश बच सका है। सत्ता के लालच में पैसे की लूट के चलते अस्पतालों में बच्चे सरेआम मारे जा रहे हैं। गरीब महिलायें पीने के पानी के लिये 2 महीने से दिल्ली से लेकर चेन्नई तक लम्बी लाइनों में लगी हैं। पानी टैंकरों से खरीदा जा रहा है। ये टैंकर भी ज्यदातर सियासतदां के हैं, पार्षदों, विधायकों या फिर पार्टी के बड़े लोगों के।
देशभर में पानी बिजली की लूट मची हुई है, खासतौर से बीमारू राज्यों में बिहार, मध्य प्रदेश में पीने के पानी के नाम पर 15 सालों में 35 हजार करोड़ रुपये बजट में रखे गये जिसका 60-70 फीसद पैसा सियासतदां व बड़े नौकरशाहों ने डकार लिया है। धरातल पर सिर्फ 30-40 फभ्सद काम भी दिखाई नहीं देता। पी.एच.ई. मेहकमे के उपयंत्री, सहायक यंत्री से लेकर कार्यपालन यंत्री तक करोड़ों व अरबों के आसामी बने बैठे हैं व भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना में 8 से 10 सालों से पदस्थ हैं। ग्वालियर के एक सहायक यंत्री जिनके भय से एक पुलिस इंस्पेक्टर से लेकर एक राजपूत ठेकेदार को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा था, उनके काफी कुछ फर्जी भुगतानों का दोषी बताया जा रहा है। 2 सालों में इनके कई तबादले हुये पर ये फिर भी हटाये नहीं जा सके। इससे साफ समझ आ रहा है पानी के इसे मेहकमे में पानी सिर से काफी ऊपर निकलता देखा जा रहा है।
पूरे मध्य प्रदेश के स्थानीय निकायों की सूरतें पानी के इंतजामों में शून्य देखी जा रही है। नगरी निकाय मेहकमों के आयुक्तों के पदों की तैनाती बड़े सियायतदां के इशारों पर की जाती रही हैं। ये कलेक्टर के बराबर का पद माना जाता है बड़े शहरों में पर इस पद पर रहकर मलाई खूब मारी जाती रही है। इस तरफ संवेदनशीलता से देखने की फुर्सत मुख्यमंत्री या इस मेहकमे के मंत्री के पास नहीं रहती। वो तो जितनी राशि स्वीकृत करते हैं उस हिसाब से सेवा शुल्क उन्हें मिल जाता है। उन्हें ये देखने की जरूरत नहीं होती कि इस पैसे का कितना सही उपयोग किया गया, कितने फर्जी बिल बनाये गये। 14-15 साल पहले के एक निगम आयुक्त ने कहा था कि पी.एच.ई. मेहकमे में हर 3-4 माह में एक से दो हजार तक फर्जी फाईलों से भुगतान कर दिया जाता रहा है। जिसका कमीशन भोपाल तक भेजा जाता रहा है।
दूसरी बात यह भी है कि 70 साल पहले आबादी 30-35 करोड़ थी। आज ये कोई 130 करोड़ के पास पहुंच गयी है। आज सभी तरफ पंजाब से लेकर केरला, तमिलनाडु, कर्नाटक, हैदराबाद, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सभी जगहों पर पानी के लिये हाहाकार मचा है। इस तरफ किसी पार्टी के सियासतदां का गम्भीरता से ध्यान ही नहीं है। वो अपने कार्यकर्त्ताओं को पालने, उन्हें मलाई खिलाने के चक्कर में सारे भ्रष्टाचारों पर पर्दा डालते देखते जाते रहे हैं। ग्वालियर के एक वजीर ने तो एक नदी के 10-15 किलोमीटर इलाके को सीमेंट, कांक्रीट से पक्का करा दिया जिससे नदी के दोनों ओर कोई 200 कुऐं सूख गये पर 400 करोड़ के इस भ्रष्टाचार से मंत्री के कोई दो हजार कार्यकर्त्तागण मलाई जरूर खाते रहे थे। इससे लश्कर क्षेत्र की कोई एक लाख जनता जो 200 कुओं से पानी लेती थी 10-15 साल पहले तक वो जरूर अब पानी के लिये लाइनों में खड़ी है। यहां के कई बाघों पर शासन की लापरवाही व भ्रष्टाचारों से तथाकथित दबंगों ने कब्जा कर रखा है। 3-4 सालों से इस पर कार्यवाही करने की सिर्फ बातें ही बातें की जा रही हैं।
सक्रिय लश्कर विधायक
लश्कर से चुने गये हाल ही में विधायक प्रवीण पाठक इस मामले में की संवेदनशीलता से काम करते देखे जा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में लापरवाही व बदइंतजामी का मामला हो या फिर डॉक्टरों द्वारा मरीजों से मारपीट के मामले हों, वहां क्षेत्रीय विधायक पाठक आम जनता के साथ खड़े देखे जाते हैं पर उनकी पार्टी के ज्यादातर लोग सिर्फ और सिर्फ ठेकेदारी करने में मस्त देखे जाते हैं। आम आदमी की मदद करने की गांधीवादी सोच या विचार धारा आज मध्य प्रदेश के सत्ता दल में देखना मुश्किल लग रहा है। सिर्फ हवाई बातें करने से अब सत्ता मिल पाना मुश्किल है। राजा महाराजाओं का दौर अब आगे चलने वाला भी नहीं है। हवाईअड्डों या रेलवे स्टेशन पर हर महीने भीड़ लेकर राजा महाराजा को शक्ल दिखा देने से टिकट जरूर मिल जाये पर जीत पाना अब शायद दूर की कौड़ी है। प्रकाशचन्द्र सेठी या अर्जुन सिंह के दौर या माधवराव सिंधिया के वक्त में जो जोश कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं में देखा जाता था वो अब देख पाना सपनों जैसा है। सत्ता की आधुनिक संस्कृति अब बदल गयी है। हमारे नेताओं ने एक हजार से भी ज्यादा कार्यक्रम गरीबों के लिये बना रखे हैं पर इन सबसे 40प्रतिशत गरीब ही फायदा लेते देखे जाते हैं पर आम बड़े नेताओं के प्रबंधक, चमचे खनिज लूट करते, पानी की लूट करते, सरकारी जमीनों को लूट कर कॉलोनियां बनाते, ठेकेदारी करते खुले आम देखे जाते हैं। ये आलम दोनों दलों भा.ज.पा. व कांग्रेस में है। प्रदेश में तीसरे दल की जरूरत देखी जा रही है।
(लेखक – नईम कुरैशी)