असम राज्य की राजधानी दिसपुर से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर देश का प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर है। यह मंदिर मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक और मुख्य शक्तिपीठ है। वैसे तो हमेशा ही भक्त दर्शन के लिए आते रहते हैं, लेकिन जून माह में यहां पर काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। जिसकी वजह है यहां हर साल जून के महीने में अंबुवाची मेले का आयोजन होता है। नीलांचल पर्वत की चोटी पर स्थित कामाख्या मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए गए। दरअसल 22 जून से मंदिर के कपाटों को बंद कर दिया गया था, क्योंकि यहां पर चार दिनों के लिए अंबुवाची मेला शुरू हुआ था। चार दिन के बाद पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए गए। इस मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों से आए श्रद्धालुओं ने माता के मंदिर में दर्शन किए।अंबुवाची मेले के दौरान भारी संख्या में भक्त यहां आए थे।
अंबुवाची मेला पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा मेला माना जाता है। अंबुवाची मेले के दौरान मंदिर के गर्भ गृह में पूजन बंद रहता है। ऐसी मान्यता है कि यह समय देवी सती की माहवारी का समय होता है।
कामाख्या मंदिर से जुड़ी कथा पौराणिक काल की बताई जाती है। देवी सती के आत्मदाह के बाद जब देवी सती का योनी भाग सुदर्शन चक्र से कटकर यहां गिरा तभी से यह स्थान मां के भक्तों की तपस्थली है। धार्मिक कथाओं के अनुसार सतयुग में मां कामाख्या 16 साल में एक बार रजस्वला होती थीं और अंबुवाची मेला लगता था। द्वापर युग में 12 साल बाद और त्रेतायुग में 7 साल बाद अंबुवाची के पर्व का आयोजन होता था। कलयुग में हर साल जून के महीने में यह आयोजन होता है।