नई दिल्ली । दिन भर में दो घंटे से ज्यादा स्मार्टफोन, कंप्यूटर या टीवी पर समय गुजारना आपके बच्चे को बुद्धु बना सकता है। यह चेतावनी अमेरिका स्थित सीएचईओ यूनिवर्सिटी के हालिया अध्ययन में दी गई। 8 से 11 साल के 4500 बच्चों की दिनचर्या पर शोधकर्ताओं द्वारा करीबी नजर रखी गई। स्क्रीन पर बिताए जाने वाले समय के साथ ही उनकी नींद की गुणवत्ता और शारीरिक सक्रियता का स्तर जांचा। अध्ययन में पता चला कि रोजाना दो घंटे से ज्यादा समय तक टीवी, कंप्यूटर या स्मार्टफोन की स्क्रीन से चिपके रहने वाले बच्चों की बौद्धिक और तार्किक क्षमता 5 फीसदी कम मिली। ऐसे बच्चों में एकाग्रता और याददाश्त संबंधी दिक्कतें भी देखी गईं। मुख्य शोधकर्ता डॉक्टर जेरेमी वॉल्श के अनुसार टीवी, इंटरनेट, सोशल मीडिया और वीडियो गेम्स की लत बच्चों में न सिर्फ शारीरिक असक्रियता, बल्कि अनिद्रा का भी बड़ा कारण है। इसके अलाव वह मोटापे की चपेट में तो आ ही रहे हैं, साथ ही उनका दिमागी विकास भी बाधित होता है। इसके प्रभाव से सूचनाएं ग्रहण करने और उनका विश्लेषण कर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की उनकी क्षमता भी कमजोर पड़ती चली जा रही है। अध्ययन में चिंताजनत बात यह रही कि 20 में से एक बच्चा ही 8 घंटे की नींद, 3 घंटे के खेल-कूद-व्यायाम और 2 घंटे से कम समय स्क्रीन पर बिताने के सुझाव पर अमल करता है। 3 घंटे 30 मिनट औसतन रोजाना टीवी, कंप्यूटर या स्मार्टफोन की स्क्रीन से चिपके रहते हैं। ज्यादातर बच्चे, 18 प्रतिशत मोटापे की समस्या से जूझ रहे। अध्ययन में यह भी पता चला कि बच्चों में पढ़ने-लिखने की आदत विकसित करना उनका दिमागी कौशल बढ़ाने में खासा मददगार साबित हो सकता है। शोधकर्ताओं ने बच्चों को बाहर खेलने-कूदने, नियमित रूप से व्यायाम करने और रात में कम से कम आठ से दस घंटे की नींद लेने के लिए प्रेरित करने की भी सलाह दी है। गौरतलब है कि किताबें पढ़ते समय मस्तिष्क उतना ही सक्रिय हो जाता है, जितना व्यायाम या अन्य शारीरिक गतिविधियों के दौरान। इससे तंत्रिका तंत्र में नई कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा मिलता है, जो यादें संजोने, तर्क शक्ति बनाए रखने और एक साथ कई काम करने की क्षमता प्रदान करने के लिए अहम है।