मामला आरटीई का, अभिभावक लगा रहे चक्कर
भोपाल। प्रदेश में लागू शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत करीब चालीस हजार गरीब परिवार के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला नहीं मिला है। प्रवेश के लिए अब भी कई गरीब अभिभावक निजी स्कूलों के चक्कर काट रहे हैं। निजी स्कूलों का तर्क है कि जो सूची उनके पास राज्य शिक्षा केंद्र से आई है, उसमें बच्चे का नाम नहीं है। वहीं, कई स्कूलों में अभी सूची भी नहीं पहुंची है, जबकि स्कूलों में एडमिशन लेने के लिए चार दिन बचे हैं। प्रदेश के 1 लाख 77 हजार बच्चों का अलॉटमेंट किया गया। इसमें अभी तक 1 लाख 37 हजार बच्चों को एडमिशन मिला है। अभी भी 40 हजार बच्चों को लॉटरी में स्कूल आवंटित होने के बाद भी एडमिशन नहीं मिला है। प्रदेश के कई जिलों से आरटीई के तहत एडमिशन न मिलने की शिकायत मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग में पहुंच रही है। अभिभावकों का कहना है कि स्कूल प्रशासन एडमिशन की सूची मिलने से इंकार कर रहे हैं। इसकी शिकायत अभिभावकों ने कलेक्टर, बाल अधिकार संरक्षण आयोग, जिला परियोजना समन्वयक(डीपीसी), जिला शिक्षा अधिकारी के पास भी की गई है। अभी हाल ही में राजधानी के कई बड़े स्कूलों के खिलाफ कलेक्टर के पास शिकायतों के बाद जिला पंचायत सीईओ ने 5 बड़े स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
जिले में निजी स्कूलों में 11 हजार बच्चों को अलॉटमेंट किया गया था। इसमें अभी तक लगभग 7 हजार बच्चों को एडमिशन मिला है। राजधानी के कई स्कूल आरटीई के तहत बच्चों को एडमिशन देने में आनाकानी कर रहे हैं। उनका कहना है कि सूची नहीं मिल रही है। आरटीई के तहत अलॉटमेंट के बाद एडमिशन की जिम्मेदारी भी शिक्षा विभाग की है। इसके लिए निजी स्कूलों में विभाग की ओर से नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाने का प्रावधान है, लेकिन ये अधिकारी लॉटरी के पहले दिन ही स्कूलों में उपस्थित होते हैं, इसके बाद कोई नोडल अधिकारी के निरीक्षण न होने से निजी स्कूल अपनी मनमानी कर रहे हैं। बाल आयोग में उज्जैन से एक अभिभावक पुरुषोत्तम अहिरवार ने शिकायत की है कि उसके बच्चे के एडमिशन के लिए वहां के एक निजी स्कूल में नाम आया, लेकिन स्कूल का कहना है कि उसके बच्चे का नाम सूची में नहीं है। वहीं, खंडवा से भी एक अभिभावक रामनारायण साहू ने शिकायत की है कि स्कूल वाले एक्टिविटी चार्ज नही देने के कारण एडमिशन नहीं दे रहे हैं। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी केपीएस तोमर का कहना है कि कोई भी निजी स्कूल आरटीई के तहत एडमिशन देने से इंकार नहीं कर सकता है। डीपीसी को निर्देश दिए गए हैं कि अगर कोई भी स्कूल एडमिशन देने से इंकार करता है तो नोटिस जारी किया जाएगा। मप्र बाल आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान का कहना है कि प्रदेश के कई जिले से आरटीई के तहत निजी स्कूलों में एडमिशन न मिलने की शिकायत पहुंच रही है। कई निजी स्कूल बच्चों का नाम सूची में न होने से एडमिशन देने से मना कर रहे हैं।