सुप्रीम कोर्ट में भी जारी कर्नाटक की जंग
बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा में चल रही राजनीतिक उठापटक के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी तथा कर्नाटक कांग्रेस एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। कुमारस्वामी और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने अलग अलग अर्जी दाखिल कर कोर्ट से गत 17 जुलाई का आदेश स्पष्ट करने की मांग की है। दोनों अर्जियों में कहा गया है कि कोर्ट का आदेश संविधान की दसवीं अनुसूची में पार्टी व्हिप जारी करने के संवैधानिक अधिकारों के आड़े आ रहा है। ऐसे में कर्नाटक में विश्वास प्रस्ताव पर जारी सियासी जंग और लंबी खिंच गई है। राज्यपाल वजुभाई वाला की ओर से दो बार तय की गई समयसीमा को दरकिनार करते हुए विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार ने शुक्रवार देर शाम सदन की कार्यवाही 22 जुलाई (सोमवार) तक के लिए स्थगित कर दी। अब विश्वास प्रस्ताव पर मतदान सोमवार को होगा। शुक्रवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने यह पूछकर हड़कंप मचा दिया कि क्या काले जादू से सरकार बचाना संभव है?
बता दें कि सुप्रीम में कुमारस्वामी ने अपनी अर्जी में कर्नाटक के राज्यपाल का बहुमत साबित करने के लिए समयसीमा तय करने को सदन की कार्यवाही में दखल करना बताया है। हालांकि, किसी भी पक्ष ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जियों का जिक्र कर जल्दी सुनवाई की मांग नहीं की। दोनों अर्जियों में कोर्ट से 17 जुलाई के आदेश को स्पष्ट करने का अनुरोध करते हुए कहा गया है कि कोर्ट ने अपने उस आदेश में 15 विधायकों को सदन की कार्यवाही में शामिल न होने की छूट दे दी है।
दरअसल, कोर्ट का वह आदेश दसवीं अनुसूची में राजनैतिक दल को पार्टी व्हिप जारी करने के दिये गए अधिकार के आड़े आ रहा है। मांग की गई है कि कोर्ट यह स्पष्ट करे कि उसका आदेश पार्टी व्हिप जारी करने के संवैधानिक आदेश पर लागू नहीं होगा। अर्जियों में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसलों का हवाला भी दिया गया है, जिसमें राजनैतिक दलों को पार्टी व्हिप जारी करने के अधिकार को मान्यता दी गई है। दोनों अर्जियां जब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गईं तब तक कर्नाटक के राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री को सदन मे बहुमत साबित करने के लिए तय की गई 1.30 बजे की सीमा बीत चुकी थी और अर्जी दाखिल करते वक्त कर्नाटक विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर बहस चल रही थी। कुमारस्वामी ने कहा है कि जब सदन चल रहा है और विश्वासमत पर बहस हो रही है, तो उस बीच राज्यपाल समय सीमा तय करने का आदेश नहीं दे सकते। राज्यपाल सदन को इस तरह निर्देश नहीं दे सकते।