Raj Jaiswal lucknow
नान ट्रेड सीमेंट यह 30-50 रुपए प्रति बैग कम में पड़ती है। सस्ती सीमेंट के चक्कर में आम जनता तो इस गोरखधंधे को समझ नहीं पा रही है, लेकिन सरकार को इससे करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। आर्यन लाइव न्यूज़ की पड़ताल बताती है की जरा हरा गांव थाना इंदिरा नगर के कई इलाकों में नॉन ट्रेड सीमेंट का छोटे-छोटे प्लॉटों पर धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। सीमेंट के साथ व्हाइट सीमेंट और भवन निर्माण में उपयोग होने वाली व्हाइट सीमेंट और कई दूसरी सामग्री भी इसी तरह बेची जा रही है।
क्या है नॉन ट्रेड सीमेंट
नॉन ट्रेड सीमेंट वह सीमेंट है, जिसे खुले बाजार में नहीं बेचा जा सकता है। यह सब्सिडाइज्ड सीमेंट है, जिसे हासिल करने के लिए बिल्डर या कंस्ट्रक्शन फर्म को फॉर्म-सी भरना पड़ता है। इसमें प्रोजेक्ट की स्वीकृति की जानकारी, निर्माण कार्यों की जानकारी और सामग्री की मात्रा आदि का ब्योरा देना पड़ता है। फॉर्म-सी मंजूर होने के बाद सरकार को दो प्रतिशत एडवांस टैक्स जमा कराना पड़ता है। इसके बाद कंपनी कम रेट वाली सीमेंट के बैग संबंधित प्रोजेक्ट के लिए देती है। ऐसे बैगों पर नॉट फॉर सेल लिखा होता है। प्रोजेक्ट के तहत ही इस सीमेंट का इस्तेमाल हो सकता है। किसी भी आम ग्राहक को यह नहीं बेची जा सकती।
ट्रेड और नॉन ट्रेड का फर्क
सीमेंट बनाने वाली लगभग हर कंपनी ट्रेड और नॉन ट्रेड दोनों प्रकार की सीमेंट बनाती हैं। ट्रेड सीमेंट पर एआरपी लिखी होती है। नॉन ट्रेड सीमेंट की बोरियों पर एमआरपी नहीं होती। इनकी बोरियों का रंग भी कंपनी की ट्रेड सीमेंट से अलग होता है। मायसेम कंपनी की पब्लिक यूज की सीमेंट की बैग का रंग लाल है। उसकी नॉन ट्रेड सीमेंट हरे रंग की बैग में आती है। कोरोमंडल की ट्रेड सीमेंट की बोरी पीली होती है, लेकिन उसकी नॉट फॉर सेल लिखी बोरी का रंग सफेद होता है। जेपी कंपनी भी नॉन ट्रेड सीमेंट सफेद बोरी में देती है।
नहीं बेच सकते नॉन ट्रेड सीमेंट,
किसी सीमेंट की बैग पर एमआरपी नहीं है तो इसका मतलब है, उसे रिटेल मार्केट में नहीं बेचा जा सकता। ऐसी सीमेंट प्रोजेक्ट के तहत ही मिलती है। यदि नॉन ट्रेड सीमेंट खुलेआम बिक रही है तो यह गलत है। इससे सरकार को चपत लग रही है।[incor]