बडे अस्पताल में इलाज से लेकर खून तक की दलाली
ग्वालियर । शहर अब निजी अस्पतालों और नर्सिेग होमों की मंडी बन चुका है।निजी अस्पताल चलाने वालों ने ग्राहक रुपी मरीज तलाशने के लिए अब अपने दलाल तैयार कर लिए जो सरकारी अस्पतालों से मरीजोे को लाने का काम कर रहे है।यह धंधा जेएएच में भी खुले आम चल रहा है। करीब सौ साल पुराने अचंल के सबसे बडे जयारोग्य अस्पताल में आसपास के प्र्र्रदेशों से भी गंभीर मरीज गंभीर रोगों का इलाज कराने के लिए आते है। वहीं अस्पताल परिसर में सव्र्र्रिâय दलाल भोले भाले मरीजों को सरकारी अस्पताल की बदहाली बताकर उन्हें निजी अस्पतालों मे बेहतर इलाज कराने का झांसा देकर नर्सिेग होमों के लिए दलाली कर मोटी रकम स्वयं कमा रहे है ओर निजी अस्पताल संचालक मरीजों को दोहन कर रहे है ।गंभीर रुप से बीमार मरीज भी इन दलालों की बातोे मे आ जाते है और निजी अस्पतालों मे जाकर अपनी जेबे खाली करा लेते है। इतना नही जेएएच में इलाज कराने के अलावा खून दिलाने तक की दलाली खुले आम हो रही है।लेकिन अस्पताल प्रबंधन तथा जिला प्रशसान को परिसर में कोई दलाल नहीं नजर नहीं आता है।जबकि प्राइवेट अस्पतालों में जब मरीज की हालत बिगडती है तो गंभीर हालत होने पर मरीज को निजी अस्पताल संचलक जेएएच के लिए रैफर कर देते है।अब कैसे कहे कि जेएएच में मरीजो को इलाज नहीं मिलता है। उधर उन्हीं निजी अस्पतालों के लिए जेएएच से मरीजो को दलाल नर्र्सिैग होम तक ले जाने की दलाली कर रहे। वैसे अस्पताल परिसर में सस्ती दवा दिलाने- जांंचे सही जगह करवाने बिना डोनर के खून दिलवाने और एंबूलेंस की व्यवस्था कराने की दलाली लंबे समय से चली आ रही है। सूत्रों की माने तो दलाली के गोरख धंधें मे अस्पताल के कर्मचारी भी शामिल है। दलाल मरीज के सामने जेएएच की अव्यवस्थाओं की ऐसी तस्वीर पेश कर देते है कि मरीज को लगता है कि अगर यहांं इलाज कराया तो मरना तय है। जबकि हकीकत में बडे अस्पताल इलाज की सभी सुबिधाएं मौजूद है। दलाल अस्पताल परिसर के अलावा ओपीडी – ब्लड बैक सीपीएल तथा बार्र्डो में बिना किसी भय के अपना शिकार तलासते देखे जा सकते है। ब्लड बैक के पास एक दलाल ने तुरंत बिना डोनर के पाचं हजार में एक यूनिट खून दिलाने का दावा भी कर दिया। पिछले दिनों भी बडे अस्पताल में खून की दलाली का मामला सामने आ चुका है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन भी ऐसी गडबडियो की जांच कराने की जगह उन्हे ठंडे वस्ते मे डाल देता। जिला प्रशासन तथा जेएएच प्रबंधन की लावरवाही का खामियाजा यहां इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों को उठाना पड रहा है।
ट्रॉमा में बेड फुल होते ही एक्टिव हो जाते हैं दलाल
जेएएच में २४ घंटे दर्जनो प्राइवेट एंबुलेंस डेरा डाले रहती हैं। ट्रॉमा सेंटर में बेड फुल होते ही दलाल एक्टिव हो जाते हैं और जो भी मरीज बाहर निकलता है उसे ये लपक लेते हैं। इसके गार्ड, वार्ड ब्वॉय, सब शामिल हैं। कुछ एम्बूलेसों को अस्पताल के स्टाफ की या उनक ेनाते रिश्तेदरों की भी है जो हर समय मरीजों को तलासती रहती है।
जेएएच मे दलालों के सबसे आसान शिकार गांवों के कम पढ़े लिखे मरीज होते हैं। जिन्हें ये आसानी से बेवकूफ बना देते हैं। भले ही मरीज के घरवाले जमीन बेचकर ला रहे हो लेकिन इनका दिल नहीं पसीजता। बाद में मरीज की मौत के बाद हंगामा होने पर ये आसानी से मामले को दबा लेते हैं। जेएएच में दलालों की जड़ें बहुत गहरी हैं। इसमें सबसे अहम कड़ी होती है प्राइवेट एम्बुलेंस। क्योंकि दर्द से परेशान मरीज और परिजनों को वही जानकारी देता है कि किस अस्पताल में जाना है। कई बार मरीज ट्रॉमा सेंटर जा रहा होता है लेकिन एंबुलेंस ड्राइवर उन्हें डराकर इन प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती करा देता है।