ग्वालियर। डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एर्जकेशन (डीएलएड) की प्रेक्टिकल परीक्षाओं में फजीर्वाड़ा चल रहा है। कॉलेज संचालकों और बाह्य परीक्षकों(एग्जामिनर्स)की सांठसागंठ के चलते सारे नियम-कायदों को एक तरफ पटक दिया गया है। आलम यह है कि बिना छात्रों के ही प्रेक्टिकल परीक्षाएं कराई जा रहीं। पिछले माह प्रथम व द्वितीय वर्ष की मुख्य परीक्षा देने आए बाहरी छात्र-छात्राओं में से सत्तर फीसदी ऐसे हैं,जिन्हें प्रेक्टिकल के लिए नहीं बुलाया गया है। बगैर आए ही उनकी प्रेक्टिकल परीक्षाएं हो रहीं। इसके एवज में छात्रों से अलग से चार्ज वसूला गया है। बता दें कि डीएलएड में हजारों की संख्या में बाहरी छात्र-छात्राएं दाखिला लेते हैं। यह छात्र ग्वालियर शहर सहित अंचल के जिलों में संचालित हो रहे कॉलेजों में नॉन अटेडिंग रहते हैं। साल भर कॉलेजों को मुंह तक नहीं देखते और सत्तर फीसदी हाजिरी र्परी करके उन्हें परीक्षा में शामिल कर दिया जाता है। माध्यमिक शिक्षा मंडल भी ऐसे छात्रों की उपस्थित की पड़ताल किए बिना परीक्षा फार्म भरा लेता है। पिछले माह 18 र्जन से शुरू हुर्इं प्रथम व द्वितीय वर्ष की परीक्षा में शामिल होने बड़ी संख्या में छात्र शहर में आए थे। इनसे शहर के ज्यादातर छोटे होटल और गेस्ट हाउस व धर्मशालाएं बुक हो गर्इं थी। दस दिन इनका शहर में डेरा रहा। परीक्षा देकर छात्र-छात्राएं बापस अपने घर चले गए। माशिमं द्वारा 12 र्जलाई से 22 जुलाई तक प्रेक्टिकल परीक्षाएं कराई जा रहीं। र्सत्रों के अनुसार इनमें शामिल होने के लिए बाहरी छात्र-छात्राएं सेंटर पर नहीं आ रहे। सरकारी स्र्कलों के जो शिक्षक एग्जामिनर बनाए गए हैं,वे मोटा लिफाफा लेकर बिना छात्रों के ही प्रेक्टिकल परीक्षा कराकर नंबरों की सीट पर साइन कर रहे हैं। ज्यादातर डीएलएड कॉलेज वाले इसी तरह से प्रेक्टिकल में फजीर्वाड़ा करने में लगे हैं। बाहरी छात्र इसलिए नहीं हा रहे,क्योंकि उनका आने-जाने के किराए और ठहरने में खर्चा होता है। परेशानी से बचने के लिए इतना पैसा वे कॉलेज वालों को प्रेक्टिकल कराने के दे देते हैं।